ओडिशा में आज भी हो रहे हैं बाल विवाह, आए चौंकाने वाले आंकड़े
कहने को तो देश में बाल विवाह निषेध कानून है लेकिन परंपरा और गरीबी के सामने किसी कानून की क्या हैसियत हो सकती है? कहने [more…]
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महाकुम्भ का जनप्रवाह देखकर नाज़ुक मन वाले बच्चों पर इसका नशा तारी है। वे पाप पुण्य नहीं जानते। गंगा नदी के नाम से भी परिचित [more…]
पिछले दिनों आगरा के एक पेठा व्यवसायी ने अपनी नाबालिग 13 साल की बेटी को जूना अखाड़े के महंत को दान दे दिया। कहा जा [more…]
सुल्तानपुर गावं, आज़मगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और उन्नाव में डिप्थीरिया (गलाघोंटू) से आठ बच्चों की मौत ने योगी सरकार और उसकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर [more…]
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के स्कूल में एक बच्चे को दूसरे बच्चों से थप्पड़ मारने के मामले में सोमवार (6 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में [more…]
कहते हैं कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं, मगर जब उनका वर्तमान ही हर पल खतरे में हो और काम और करियर का दबाव [more…]
रांची। एक शख्स ने फिरौती के लिए पहले तो आठ साल के मासूम को अगवा किया और फिर पहचाने जाने के बाद बेरहमी से उसकी [more…]
मेरा बचपन पूर्व-आधुनिक, ग्रामीण, वर्णाश्रमी, सामंती परिवेश में बीता, हल्की-फुल्की दरारों के बावजूद वर्णाश्रम प्रणाली व्यवहार में थी। सभी पारंपरिक, खासकर ग्रामीण, समाजों में पारस्परिक [more…]
तारीख 13 नवम्बर 2021 दिन शनिवार को मेरा दोस्त महेश फोन करता है और कहता है कि उसके भैया मनोज अपने गाँव के एक 17 साल के बच्चे विष्णु को खूंटी में अपने किराये के मकान में साथ रखकर अपने स्कूल में पढ़ाते थे, जो 11 तारीख से गायब है। मनोज पेशे से शिक्षक हैं और झारखंड मेंस्थित बंधगांव हाई स्कूल पढ़ाते हैं। मैं सुनकर कुछ हेल्पलाइन, कुछ लोगों का संपर्क भेजा और निश्चिंत हो गया। लेकिन अचानक 16 नवम्बर को पता चला कि मनोज जी और विष्णु के पिताजी कोलकाता रवाना हो चुके हैं विष्णु को ढूंढने के लिए। क्योंकि विष्णु ने 12 नवम्बर को किसी नम्बर से फोन किया था और कहा था कि “हमअपने दोस्त के साथ कोलकाता घूमने आ गये हैं …………..” और भी कुछ कहा होगा उसने लेकिन ये जानकारी मुझे नहीं है। 3 दिनों तक मनोज और विष्णु के पिताजी ने हावड़ा रेलवे स्टेशन, हावड़ा ब्रिज के इर्द गिर्द उसे ढूंढा। इस दौरान खूंटी थाने में गुमशुदगी का मामला भी दर्ज करा दिया गया था।विष्णु ने किसी अनजान व्यक्ति के फोन से कॉल किया था, फिर वो गायब हो गया। कोलकाता जाने के बाद मनोज ने उस अनजान व्यक्ति से मिलने की कोशिश की लेकिन वो व्यक्ति कहीं और जा चुका था । 3 दिन थक हार कर हर संभव ढूंढने की कोशिश की, हावड़ा के थाने में रिपोर्ट भी दर्ज किया उन लोगों ने लेकिन कुछ नहीं हुआ। तभी 16 नवम्बर को उन्हें बच्चा एक नंबर से कॉल करता है और कहता है कि “भैया दिल्ली फंसाकर ले आया हमको, एक फैक्ट्री है बहुत बड़ी, और जबर्दस्ती काम करवारहा है, काम नहीं करने से गाली दे रहा है…” मनोज बात करते हुए समझाया कि “तुम चुपचाप काम करो हम ढूंढ (ट्रेस करके) लेंगे, तुम रूम से कैसे निकले और कौन ले गया तुमको….” विष्णु ने उत्तर देते हुए कहा कि “अरे वही एक दोस्त बुलाया था, यही ये अविनाश, हम लोग के स्कूल का नहीं रोलाडिह का अविनाश, खाना ही बनाये थे, खाकर टाटा पहुंच गए फिर कोलकाता और फिर दिल्ली, एक ठो आदमी बोला हमको कि हम टाटा जायेंगे, फिर हम उसके साथ आये और हमकोयहां फंसा दिया.. अविनाश जो है वो कोलकाता से भाग गया।” मनोज ने समझाते हुए कहा कि, “सुरक्षित रहना, खाना खा के स्वस्थ रहना, हम ढूंढ के निकाल लेंगे ” और मनोज ने कॉल और फोन नंबर की जानकारी खूंटी पुलिस को दे दी, पुलिस ने ट्रेस करके बताया कि कॉल दिल्ली के द्वारका, सेक्टर – 11 के किसी इलाके से आया है। तुरंत ये जानकारी मुझे दी गयी। मैं टीचर ट्रेनिंग कोर्स बीएड दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से कर रहा हूँ, टीचिंग प्रैक्टिस क्लास की तैयारी में लगा हुआ था। जैसे ही मुझे ये जानकारी मिली मैंने तुरंत चाइल्ड लाइन और दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स पर कॉल करके मामला दर्ज कराया। साथ ही 112 पर कॉल करके मामले को बताया, और तुरंत मुझे पीसीआर वालों का फोन आया कि आप कहाँ हैं, कहाँ चलना है? मैंने समझाया कि मैं सीधा सेक्टर 11 के नजदीकी थाने पर आके मिलता हूँ और मामला बताता हूँ। तभी एएसआई कीर्ति का कॉल आया और उन्होंने समझाया कि आप खुद उसलोकेशन को ढूंढने का प्रयास करें, वगैरह – वगैरह… मैंने सीधा जवाब दिया कि मैं आकर मिलता हूँ । मैं DCP ऑफिस पहुंचा जो सेक्टर 11 मेट्रो स्टेशन से 1.5 किलोमीटर दूर स्थित है, वहां पहुंचने पर पता चला कि जो भी होगा वह द्वारका साउथ थाने से होगा, वैसे भी ASI कीर्ति से बात हुई थी तो मैं पैदल चल दिया, मैं 1 बजे द्वारका साउथ थाने पहुंचा, तभी पता चला कि ASI कीर्ति 4 बजे के करीबमिलेंगे । मैं बाहर वेट कर रहा था तभी मनोज का कॉल आया और उन्होंने कहा कि “विष्णु के मैनेजर का कॉल आया है और वो कह रहा है कि बच्चा सेफ है, 17 साल के बच्चे से क्या काम करवाएं, आप कोई गार्जियन आकर ले जाइये”। इससे पहले जिससे सुबह कॉल आया था वो नम्बर स्विच ऑफ आनेलगा था । लेकिन 4 बजे के करीब यह कॉल आई तो उम्मीद की किरण नजर आई क्योंकि सुबह वाले नम्बर को कई लोगों ने प्रयास किया था।लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला था। मैंने उसके सुपरवाइजर से बात की और मिलने का प्रस्ताव रखा, उसने मुझे बुलाया और लोकेशन बताया कि “द्वारका, सेक्टर-11, अक्षरधाम अपार्टमेंट के बगल में एक पार्क की दीवार बन रही है वहीं पर आ जाइये”। मैं पहले से ही डरा हुआ था क्योंकि बच्चे ने बताया था कि उसे जबर्दस्ती उठा के लाया गया है और काम करवाया जा रहा है। मैंने सुपरवाइजर को कहा कि “ऐसा करिए कि बच्चे को किसी पब्लिक प्लेस जैसे मेट्रो स्टेशन के पास या कहीं और ले आइये”, तभी उसने कहा कि मैं बाहर नहीं जा सकता, साइट पर हमारा काम चल रहा है। तभी मैंने ये निर्णय लिया कि चलो चला जाए और मिला जाए, जो होगा देखा जाएगा। मैंने सारी जानकारी अपने दोस्त महेश को दे रखा था, जैसे – Whatsapp live लोकेशन, लोकेशन, अगल बगल की जानकारी आदि। मैं साइट पर पहुंचा तो देखा कि वहां पर जिला उद्यान (पब्लिक पार्क) है और उसके बगल में एक बड़े से मैदान पर बिल्डिंग निर्माण का कार्य चल रहा है और वह चारों ओर से लोहे की चादरों से ढका हुआ है, अन्दर जाने के लिए एक गेट है, जिसे किसी गेट कीपर ने खोला और मैं अन्दर गया। अन्दर जातेही सुपर वाइजर से मिला और अपना परिचय बताया कि मैं मनोज का भाई हूँ, विष्णु से मिलने आया हूं, वो मुझे अन्दर ले गया, अन्दर से मैं डरा हुआ था लेकिन बात मुस्कुरा के और आत्मविश्वास से कर रहा था, थोड़ा और अन्दर जाने पर 2 कारें खड़ी थीं और 2 लोग कुर्सी पर बैठे हुए थे, सुपरवाइजरउसे अपना साहब बता रहा था। उसने अपने साहब से बात की और बताया कि ये (यानि कि मैं) बच्चे से मिलने आए हैं, साहब ने मिलने की अनुमति दी। थोड़ी दूर आगे और गया तो देखा कि लोहे की चादरों के छोटे–छोटे रूम बने हुए थे जहाँ पर मजदूर रहते थे, एक बच्चा मुझे दिखा जो यही कोई 16-17 साल का लगा, वो विष्णु हीथा, क्योंकि मैंने उसका फोटो देखा था। जैसे ही बच्चा मुझे मिला वो मन ही मन खिल खिला उठा था, मैं लगातार मनोज से कॉल पर था, वीडियो कॉल पर बात करायी। विष्णु के पिताजी से बात करायी, मनोज से बात करायी। उसके पिताजी जो 5 दिनों से लगातार हैरान–परेशान थे, फोन पर ही रोने लगे, उन दोनों को उम्मीद की किरण नजर आ गयी थी। इसी दौरान सुपरवाइजर ने बताना शुरू किया कि “इस बच्चे को किसी दलाल ने यहां के दलाल को बेचा है, यहां का जो दलाल है वो खरीद के लाया है, यहां पर बहुत ऐसे लोग हैं जो झारखण्ड, बंगाल से लाये गए हैं, ये बच्चा छोटा दिखा मुझे तो मैंने पूछा तो पता चला कि ये हिन्दू है, और यहां पर सारेलेबर मुसलमान हैं, जब इसके बारे में पता चला कि ये 17 साल का है तो हमने काम से हटा दिया और घर फोन लगाने को कहा, इसके गार्जियन को बुलाइये और ले जाइये।” “ये सा… दलाल ना जाने कहां से उठा उठा के लेबर ले आते हैं, कल आइये आपको उस दलाल से मिलाते हैं”। तभी मैं सुपरवाइजर से कहा कि मैं बच्चे से बात करता हूँ, उसने मुझे बात करने दी। मैं धीरे–धीरे पूछ रहा था कि यहाँ क्या किया जा रहा है, कैसे लाया गया? तभी एक आदमी आता है, जो एकदम मिट्टी से सना हुआ लगभग, जींस–शर्ट पहना हुआ ऐसे जैसे महीनों से नहीं नहाया धोया है, उसने पूछा “क्या हुआ, आप इसके गार्जियन हैं क्या? ये लड़का पढ़ने लिखने वाला कहाँ से आ गया, हम लोग खटने कमाने वाले हैं।” [more…]
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)ने उत्तर प्रदेश में एटा जिला पुलिस से एक नाबालिग लड़के द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने की घटना पर रिपोर्ट मांगी [more…]