Saturday, April 27, 2024

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नंदीग्राम: साजिश के बाप, बेटे और माँ तथा कब्रों से निकलते अस्थिपंजर!

कम्युनिस्ट भविष्यवक्ता नहीं होते किन्तु वे भविष्यदृष्टा पक्के होते हैं। नन्दीग्राम और सिंगूर को लेकर खड़े किये गए झूठ के तूमार के चलते 2011 में चुनाव हारने के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा था कि दस साल में सारा...

चंद लड़ाइयों और आंदोलन से नहीं रोका जा सकता संघ का दानवी अभियान

आप जिससे लड़ रहे हैं, उसे इस बात से बहुत कम फर्क पड़ता है कि आपकी बात कितनी सही है, आप कितना उनका पर्दाफाश कर रहे हैं। उसके पास अपना एजेंडा है। उसे भारतीय जनमानस की मानसिकता पता है,...

आतंकवाद की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर ने किसानों को बताया देशद्रोही

भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने किसान आंदोलन को लेकर जहर उगला है। प्रज्ञासिंह ठाकुर का कहना है कि जब पंजाब में ये कृषि कानून लागू ही नहीं किये गए तो पंजाब के किसान आंदोलन क्यों कर...

हमारे जिया भाई: इतिहास का एक अहम दौर जिनकी आंखों से होकर गुजरा!

इलाहाबाद के प्रगतिशील राजनीति और साहित्य से जुड़ा हर व्यक्ति जिया भाई को जानता ही जानता है, वे इन दोनों ही क्षेत्रों में शहर के ‘आदिपुरुष’ थे। इस कारण 1997-98 से राजनीति में सक्रियता शुरू होने के साथ ही...

भारत में समृद्ध रहा है किसान आंदोलनों का इतिहास

26 नवम्बर को किसानों का दिल्ली कूच कार्यक्रम है। वे वहां पहुंच पाते हैं या नहीं यह तो अभी नहीं बताया जा सकेगा, लेकिन तीन नए कृषि कानूनों के असर देश की कृषि व्यवस्था पर पड़ने लगे हैं। धान...

फ़ैज़ की पुण्यतिथि पर विशेष: कैद भी नहीं कैद कर सकी जिसके सपनों की उड़ान

1955 में फ़ैज़ ने, जो 1951 से ही मोंटगोमरी जेल में राजद्रोह की गतिविधियों के आरोप में क़ैद थे, नज़्म आ जाओ अफ्रीका लिखी थी। यह नज़्म उस जुमले पर आधारित थी जो उन्होंने अफ्रीका के उपनिवेश-विरोधी बाग़ियों से उनके उत्साहवर्धक...

जनता ही बनेगी कॉरपोेरेट पोषित बीजेपी-संघ के खिलाफ लड़ाई का आखिरी केंद्र: अखिलेंद्र

पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने वामपंथ के विरोधाभास पर मेरा एक इंटरव्यू लिया था और उनके सवाल के जवाब में मैंने कहा था कि मैं भारतवर्ष में वामपंथी आंदोलन को राज्य और समाज के जनतंत्रीकरण का एक...

जन्म दिवस विशेष: सदा रहेगी गुरशरण सिंह की रोशनी

गुरशरण सिंह हमारे दौर के योद्धा थे। एक विलक्षण सांस्कृतिक महा-लोकनायक। एक ऐसी मशाल जो मनुष्य विरोधी हर अंधेरे को चीरने के लिए सदैव तत्पर रहती है। उन्होंने लोक चेतना के लिए जो किया और जैसा जीवन जिया, उसे...

जन्मदिन पर विशेष: जनवादी रंगमंच के पितामह गुरशरण सिंह का अधूरा सपना

नाटककार गुरशरण सिंह जनवादी रंगमंच के पितामह थे। उन्हें सब प्यार से ‘भा जी’ (भाई साहब) कहते थे। वह दोज़ख के खौफ से इबादत करने वालों में से नहीं थे, नास्तिक थे। उन्हें यकीन नहीं था कि दुआ की...

एक बहुवर्गीय लोकतांत्रिक मंच ही रोक सकता है बीजेपी-संघ का सांप्रदायिक रथ: अखिलेंद्र

(देश एक बड़े आंदोलन के मुहाने पर खड़ा है। कोरोना संकट ने रही-सही अर्थव्यवस्था की भी कमर तोड़ दी और बात यहां तक पहुंच गई है कि राज्यों के जीएसटी के पैसे की अदायगी से भी केंद्र ने हाथ...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...