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सु्प्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा केंद्र से, भार डाला राज्य सरकारों पर
-प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेन या बस से कोई किराया नहीं लिया जाएगा। रेलवे का किराया राज्यों द्वारा साझा किया जाएगा। -प्रवासी श्रमिकों को संबंधित राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उन स्थानों पर भोजन और भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जहां वे ट्रेन या बस में चढ़ने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।…
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सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के पीछे 21 वरिष्ठ वकीलों की चिट्ठी की अहम भूमिका
प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वत:संज्ञान उच्चतम न्यायालय ने ऐसे ही नहीं ले लिया बल्कि कोविड -19 महामारी के मद्दे नजर प्रवासियों के सामने आने वाले संकट का संज्ञान लेने से एक रात पहले, 21 वरिष्ठ वकीलों ने भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखकर अदालत के हस्तक्षेप की मांग की थी। 25 मई…
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सुप्रीम कोर्ट का स्वत:संज्ञान: मजदूरों से हमदर्दी और संवैधानिक कर्यव्यबोध का नतीजा या केंद्र को बचाने की एक और पहल?
उच्चतम न्यायालय ने अचानक मंगलवार 26 मई को प्रवासी मजदूरों की परेशानी का स्वत: संज्ञान लेकर पूरे देश को हतप्रभ कर दिया। उच्चतम न्यायालय का ह्रदय परिवर्तन या यू टर्न विधि क्षेत्रों में लोगों के गले नहीं उतर रहा है। चर्चा यही है कि जस्टिस एपी शाह, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस मार्कण्डेय काटजू जैसे…
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प्रवासी श्रमिकों पर सुप्रीम कोर्ट की तन्द्रा टूटी, गुरुवार को विस्तृत सुनवाई
प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर सरकार की हां में हां मिलाने के लिए हो रही तीखी आलोचना के बाद उच्चतम न्यायालय की तन्द्रा टूटी और उसने मंगलवार को कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का स्वत:संज्ञान लिया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन…
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सुप्रीम कोर्ट को भी दिख गए सड़कों पर पैदल चलते मजदूर, स्वत: संज्ञान लेकर सरकारों से मांगा स्टेटस
नई दिल्ली। अंततोगत्वा, जब प्रवासी कामगारों की अंतहीन व्यथा पर, खूब शोर मचा और सोशल मीडिया, अखबारों में, सरकार की काफी भद्द पिटी, तब जाकर, सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी भी टूटी। इस मामले में चुप्पी के लिये न्यायपालिका की भी आलोचना हो रही थी। आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रवासी मज़दूरों की व्यथा का स्वतः संज्ञान लिया…
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जांच एजेंसी और जांच के तौर-तरीके तय करने का हक आरोपी को नहीं
जितने भी प्रभावशाली व्यक्ति हैं या जिनकी राजनीतिक पहुँच है बहुधा अपने खिलाफ दर्ज मामलों में मनोवांछित परिणाम पाने या मामले को लम्बा खींचने के लिए जाँच एजेंसी बदलवा देते हैं और मामला ठंडे बसते में चला जाता है। जिस राज्य की घटना होती है वह यदि अनुकूल नहीं हुई तो आरोपी और पीड़ित दोनों…
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एक पत्रकार का अधिकार नागरिक से ज्यादा नहीं कह कर सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की अर्णब की याचिका
यह कहते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत एक पत्रकार का अधिकार बोलने और व्यक्त करने के नागरिक के अधिकार से अधिक नहीं है उच्चतम न्यायालय के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने मंगलवार 19 मई को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी द्वारा कथित सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए मुंबई…
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केंद्र का फरमान- लॉकडाउन के दौरान काम न करने वाले कर्मचारियों-मजदूरों को नहीं मिलेगा वेतन
लखनऊ। मोदी सरकार का मेहनतकश विरोधी क्रूर और अमानवीय चेहरा अब और साफ़ होता जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा शिकार मेहनतकश तबका हुआ है। वास्तव में सरकार ने मजदूरों को बिल्कुल बेसहारा छोड़ दिया है और अपनी जिम्मेदारी से भाग खड़ी हुई है। ताजा मामला बेहद गंभीर है और इसी तबके से जुड़ा हुआ…