Thursday, June 8, 2023

critic

यह देश पहले भी कुछ कम अंधेरों से नहीं गुजरा, लेकिन कभी हारा नहीं, आगे भी नहीं हारेगा: विजय बहादुर सिंह 

देश के हिन्दी के जाने-माने आलोचकों में से एक विजय बहादुर सिंह को आमतौर पर उनकी देशज प्रतिमानों की सुगंध वाली आलोचना दृष्टि, भवानीप्रसाद मिश्र व दुष्यंत कुमार जैसे कवियों और आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी की रचनावलियों के श्रमसाध्य...

संघर्षों और बलिदानों से भरा पड़ा है हिंदी पत्रकारिता का इतिहास

1826 की 30 मई को कोलकाता की आमड़ातल्ला गली से प्रकाशित अल्पजीवी हिंदी पत्र उदन्त मार्तण्ड ने इतिहास रचा था। यह साप्ताहिक पत्र था। पत्र की भाषा पछाँही हिंदी थी, जिसे पत्र के संपादकों ने “मध्यदेशीय भाषा” कहा था।...

डॉ.कमला प्रसाद: प्रगतिशील आंदोलन का अनथक योद्धा

सज्जाद जहीर और भीष्म साहनी के बाद प्रगतिशील लेखक संघ को एक नई दिशा व ऊर्जा देने वाले डॉ. कमला प्रसाद पांडेय समूची साहित्यिक बिरादरी में अद्भुत सांगठनिक क्षमता और नेतृत्वशीलता के लिए जाने-पहचाने जाते थे। अपनी जिन्दगी के...

अलविदा शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी! दास्तानगोई को जिंदा कर खुद बन गए दास्तां

1995 के आस-पास का वक्त रहा होगा। किसी बातचीत में उनकी लाइब्रेरी का ज़िक्र सुना था। इलाहाबाद के घर में उनकी लाइब्रेरी के क़िस्से की छाप दिमाग़ में रह गई। हम अपनी निजी चर्चाओं में उन्हें लाइब्रेरी वाले फ़ारूक़ी...

श्रद्धांजलि: साहित्य का बड़ा कोना खाली कर गए नंदकिशोर नवल

12 मई को लब्धनिष्ठ आलोचक नंदकिशोर नवल का 83 वर्ष की उम्र में जाना एक ऐसे हिंदी साहित्य हस्ताक्षर का जाना है जिन्होंने ताउम्र अग्रज और समकालीन तथा नवोदित हिंदी साहित्यकारों की (बनती) सर्वमान्यता के लिए ऐसा अति उल्लेखनीय...

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दलित स्त्री-3: स्त्रीवाद और दलित स्त्री/भ्रामक अवधारणा बनाम वास्तविक संघर्ष

1841 में भारत के वर्तमान महाराष्ट्र प्रांत में एक महार दलित परिवार में पैदा हुई मुक्ता साल्वे, जो जोतिबा...