Friday, April 19, 2024

Dalit politics

वर्तमान दलित राजनीति को चाहिए एक नई दिशा और रेडिकल एजेंडा

कुछ समय पहले में एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर आजाद 'रावण' ने कहा था कि वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम काल है। वैसे आज अगर दलित राजनीति की दशा और दिशा देखी जाए तो यह कहीं से भी उसका स्वर्णिम...

सामंती-पूंजीवादी व्यवस्था में अम्बेडकर और दलित राजनीति

डॉ. भीमराव अम्बेडकर असमानता, दासता, अन्याय, जातीय और धार्मिक उत्पीड़न जैसी सामाजिक विसंगतियों के मुखर विरोधी रहे क्योंकि इन सामाजिक विसंगतियों से उपजी पीड़ाओं को उन्होंने ख़ुद भोगा था। इसीलिए उन्होंने इन सामाजिक विसंगतियों के ख़िलाफ़ आजीवन संघर्ष भी...

अवसरवाद से पासवान नहीं बन सके, दलितों के पासबान

भारत में दलित राजनीति का एक विशेष अर्थ है और इसके विस्तार का इतिहास अतीत तक जाता है। इसमें संत और राजनीतिज्ञ दोनों सम्मिलित हैं। दलित आंदोलन और राजनीति भारत के महत्वपूर्ण विषयों में से एक अतिमहत्वपूर्ण विषय है।...

पाटलिपुत्र की जंग: दलों का तीसरा संगम बिगाड़ सकता है पहली दो धाराओं का खेल

बिहार का चुनावी तापमान पूरे शबाब पर है। एक तरफ जहां पार्टी अदलाबदली की कहानी तेज है, तो दूसरी तरफ सूबे की छोटी पार्टियां जिन्हें बटमार पार्टियां कहा जा रहा है, उनके खेल से बिहार भ्रमित भी है और लुभा भी रहा है।...

शब्दावली का धूर्त सांप्रदायिक खेल

बात ज्यादा पुरानी नहीं है। भीम आर्मी के चीफ चन्द्रशेखर रासुका के तहत जेल में बंद थे। सत्ता द्वारा उनके इस उत्पीड़न के खिलाफ लखनऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहां पर भीम आर्मी के तत्कालीन प्रवक्ता...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।