Saturday, September 23, 2023

Dalit politics

सामंती-पूंजीवादी व्यवस्था में अम्बेडकर और दलित राजनीति

डॉ. भीमराव अम्बेडकर असमानता, दासता, अन्याय, जातीय और धार्मिक उत्पीड़न जैसी सामाजिक विसंगतियों के मुखर विरोधी रहे क्योंकि इन सामाजिक विसंगतियों से उपजी पीड़ाओं को उन्होंने ख़ुद भोगा था। इसीलिए उन्होंने इन सामाजिक विसंगतियों के ख़िलाफ़ आजीवन संघर्ष भी...

अवसरवाद से पासवान नहीं बन सके, दलितों के पासबान

भारत में दलित राजनीति का एक विशेष अर्थ है और इसके विस्तार का इतिहास अतीत तक जाता है। इसमें संत और राजनीतिज्ञ दोनों सम्मिलित हैं। दलित आंदोलन और राजनीति भारत के महत्वपूर्ण विषयों में से एक अतिमहत्वपूर्ण विषय है।...

पाटलिपुत्र की जंग: दलों का तीसरा संगम बिगाड़ सकता है पहली दो धाराओं का खेल

बिहार का चुनावी तापमान पूरे शबाब पर है। एक तरफ जहां पार्टी अदलाबदली की कहानी तेज है, तो दूसरी तरफ सूबे की छोटी पार्टियां जिन्हें बटमार पार्टियां कहा जा रहा है, उनके खेल से बिहार भ्रमित भी है और लुभा भी रहा है।...

शब्दावली का धूर्त सांप्रदायिक खेल

बात ज्यादा पुरानी नहीं है। भीम आर्मी के चीफ चन्द्रशेखर रासुका के तहत जेल में बंद थे। सत्ता द्वारा उनके इस उत्पीड़न के खिलाफ लखनऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहां पर भीम आर्मी के तत्कालीन प्रवक्ता...

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गौतम अडानी और प्रफुल्ल पटेल के बीच पुराना है व्यावसायिक रिश्ता

कॉर्पोरेट की दुनिया में गौतम अडानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता है। सत्तारूढ़ भारतीय...