dhumil
संस्कृति-समाज
जयंती पर विशेष: अकेले को सामूहिकता और समूह को साहसिकता देने वाले धूमिल
सुदामा पाण्डेय यानी धूमिल ताउम्र जिन्दा रहने के पीछे मजबूत तर्क तलाशते रहे। कहते रहे ‘तनों अकड़ो अपनी जड़ें पकड़ो, हर हाथ में गीली मिट्टी की तरह हां-हां मत करो।’ मौजूदा जनतंत्र को मदारी की भाषा कहने वाले धूमिल...
संस्कृति-समाज
जयंती पर विशेष : व्यवस्था के खिलाफ मुक्तिबोध में दबा बम धूमिल में फट पड़ा!
‘क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई मतलब होता है?’ हिन्दी कविता के एंग्रीयंगमैन सुदामा पांडे ‘धूमिल’ने अब से कई दशक पहले यह जलता व चुभता हुआ सवाल...
संस्कृति-समाज
धूमिल के साहित्य के केंद्र में है लोकतंत्र की आलोचनाः प्रो. आशीष त्रिपाठी
Janchowk -
वाराणसी। उदय प्रताप कॉलेज के हिंदी विभाग और धूमिल शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा संकाय के सभागार में जनकवि धूमिल की पुण्यतिथि पर ‘भारतीय लोकतंत्र और विपक्ष का कवि धूमिल’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस...
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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र
लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।
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