फ़ैज़ की पुण्यतिथि पर विशेष: कैद भी नहीं कैद कर सकी जिसके सपनों की उड़ान
1955 में फ़ैज़ ने, जो 1951 से ही मोंटगोमरी जेल में राजद्रोह की गतिविधियों के आरोप में क़ैद थे, नज़्म आ जाओ अफ्रीका लिखी थी। यह नज़्म [more…]
1955 में फ़ैज़ ने, जो 1951 से ही मोंटगोमरी जेल में राजद्रोह की गतिविधियों के आरोप में क़ैद थे, नज़्म आ जाओ अफ्रीका लिखी थी। यह नज़्म [more…]