जोश व फ़िराक़ की चंद यादें: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जोश साहब से पहली मुलाकात साल 1936 में हुई, जब तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन की पहली कॉन्फ्रेंस के दौरान उस अंजुमन की दाग़बेल डाली जा रही थी। [more…]
जोश साहब से पहली मुलाकात साल 1936 में हुई, जब तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन की पहली कॉन्फ्रेंस के दौरान उस अंजुमन की दाग़बेल डाली जा रही थी। [more…]
‘मुझसे पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न मांग’ फैज़ अहमद फैज़ की बेहद मशहूर नज़्म, इतनी मशहूर कि कुछ लोग इसे ‘कालजयी’ रचना कहते हैं, [more…]
उर्दू अदब में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का मुकाम एक अजीमतर शायर के तौर पर है। वे न सिर्फ उर्दू भाषियों के पसंदीदा शायर हैं, बल्कि [more…]