Tag: farmer
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क्या और व्यापक होगा किसान आंदोलन का दायरा?
अपनी ऐतिहासिक विजय के बाद 31 जनवरी को किसान संगठन फिर जुट रहे हैं, अपने अभूतपूर्व और शांतिपूर्ण आंदोलन की समीक्षा के लिये वे 31 जनवरी का दिन, देश भर में “विश्वासघात दिवस” के रूप में मनाएंगे। यह विश्वासघात दिवस, उस आश्वासन के संदर्भ में आयोजित है, जो सरकार ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी…
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मोदी बहुत घमंड में थे, पूछा-500 किसान मेरे लिए मरे हैं: सत्यपाल मलिक
“मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिला तो मेरी पांच मिनट में ही उनसे लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए, तो उन्होंने कहा, मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे थे, जो आप राजा बने हुए हो,…
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कॉरपोरेटी हिंदुत्व के फासीवादी फंदे से देश को निकालना ही नये साल का असली संकल्प
2021 के अंतिम तिमाही में कालिनेम, शिखंडी, खड्गसिंह और गोडसे का जिंदा होना क्या महज संयोग है कि सोचा समझा प्रयोग। 2021 की शुरुआत महामारी की क्रूर छाया और लोकतंत्र पर फासीवाद के मरणांतक हमले के साथ हुई थी।वहीं इसका समापन भारत के किसानों की अपराजेय ताकत के दम पर विजय के साथ हुआ। एक…
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किसान आंदोलन: जश्न के बीच आशंकाओं के गहराते बादल
बहुत प्रयास करने के बाद भी किसान आंदोलन की सफलता के जश्न में शामिल न हो पाया। सिर्फ इतना ही नहीं जश्न मना रहे किसान नेताओं और बुद्धिजीवियों को कौतूहल, आश्चर्य एवं करुणा मिश्रित दृष्टि से देखता भी रहा। अपने हृदय में झांका तो वहाँ क्षोभ एवं संशय की उपस्थिति देख खुद पर क्रोध आया।…
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सरकार ने कहा- एक क़दम पीछे हटे हैं फिर आगे बढ़ेंगे, किसानों ने कहा- दिल्ली का रास्ता भूले नहीं हैं
“हम एक कदम पीछे हटे हैं लेकिन आगे फिर बढ़ेंगे।” केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उक्त बयान से नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा जाहिर हो गई है और ख्याल लगाए जा रहे हैं कि चुनाव बाद सरकार फिर से कृषि क़ानून लेकर आ सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा केंद्रीय…
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जयंती पर विशेष: देश को मोदी जैसा किसान विरोधी नहीं, चरण सिंह जैसा किसानों का हमदर्द प्रधानमंत्री चाहिए!
पिछले दिनों इस देश के अन्नदाताओं को दिल्ली के वर्तमान क्रूर, असहिष्णु , बदमिजाज, अमानवीय, फॉसिस्ट, तानाशाही प्रवृत्ति के निजाम के जबरन रोकने की वजह से दिल्ली में प्रवेश नहीं मिल सका। और उन्हें अपनी न्यायोचित माँगों के लिए 378 दिन तक दिल्ली की सीमाओं पर ही आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ा। जो…
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किसान आंदोलन: जश्न के बीच से झांकती चुनौतियां
यहां सड़क पर कीले उगीं हैं। कंटीले तारों ने अपने ही देश के नागरिकों को जानवरों की तरह घेर रखा है। आपका स्वागत फौज़ी बूटों की कर्कश ध्वनियों से होता है। यह कश्मीर नहीं किसानों के आंदोलन-स्थल की तस्वीर है। वही जगह जो भारतीय राजसत्ता के केंद्र रायसीना हिल्स से महज कुछ किलोमीटर की दूरी…