(मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय को 12 सितंबर को उनके निबंध ‘आजादी’ के फ्रांसीसी अनुवाद - लिबर्टे, फासिस्म, फिक्शन- के अवसर पर उनकी आजीवन उपलब्धि के लिए 45वें यूरोपीय निबंध पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मौके पर उनके द्वारा...
जी-20 शिखर सम्मेलन चल रहा है।
इसमें बाइडेन, मैक्रॉन जैसे वे सभी लोग हैं जो लोकतंत्र की बातें करते रहते हैं।
वे सभी यह बात जानते हैं कि यहां क्या हो रहा है।
उन्हें मालूम है कि यहां मुस्लिमों का नरसंहार हुआ...
लगभग दो सौ साल के लंबे उपनिवेश-विरोधी संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी हासिल हुई। लेकिन इस आज़ादी की भारी कीमत भी चुकानी पड़ी। देश का धर्म के आधार पर विभाजन हुआ। लाखों-लाख लोग विस्थापित...
नई दिल्ली। दो साल के बाद जेल से रिहा हुए पत्रकार सिद्दकी कप्पन ने पहली बार लोगों से बातचीत की। उन्होंने रविवार को कोलकाता में दर्शकों को बताया कि फासीवाद के खिलाफ स्मृति सबसे बड़ा हथियार है। सिद्दकी कप्पन...
सोमवार से बंगलुरू में विपक्ष की दो दिनों की बैठक शुरू होगी। इस बैठक की राजनीतिक पृष्ठभूमि और अहमियत की हम दो दिन पहले ही चर्चा कर चुके हैं। 2024 का चुनाव भारत में जनतंत्र और फासीवाद, दोनों के...
विपक्ष की बंगलुरू बैठक की पृष्ठभूमि में वर्तमान राजनीति की यह मूलभूत समझ है कि भारत में फासीवाद के उग्रतम रूप का ख़तरा साफ़ तौर पर मंडराने लगा है।
अगर इतने सारे विपक्षी दलों के एक साथ मिलने के पीछे...
सबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
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सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज...
साहित्य-संस्कृति के इतिहास ने कृष्णा सोबती के नाम बहुत कुछ दर्ज किया है। उनके लिखे अल्फाज जिंदगी के हर अंधेरे कोने में दिया बनके कंदीलें जलाने को बेचैन, बाजिद और तत्पर रहते मिलते हैं। फूलों को अतत: सूखना ही...
पटना। भाकपा माले के 11वें पार्टी महाधिवेशन के आज दूसरे दिन फासीवाद विरोधी और राष्ट्रीय परिस्थितियों के मसौदा प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार और बहस-मुबाहिसे के बाद प्रतिनिधियों ने दोनों प्रस्तावों को ध्वनिमत से पारित कर दिया। कुल 36...
हम उस काम को पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं जिसे करते हुए लगता है वर्षों बीत चुके हैं। इतने सारे सहचर मनुष्यों के साथ एक साथ एक कमरे में रहने के आनंद को मैं कभी भी चलताऊ...