काल के कपाल पर हस्ताक्षर: परसाई को जिंदा बनाये रखने की रचनात्मक पहल
‘काल के कपाल पर हस्ताक्षर’ शीर्षक से प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की उपन्यास शैली में लिखी गयी जीवनी है। इसे जाने-माने लेखक राजेन्द्र चंद्रकांत राय [more…]
‘काल के कपाल पर हस्ताक्षर’ शीर्षक से प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की उपन्यास शैली में लिखी गयी जीवनी है। इसे जाने-माने लेखक राजेन्द्र चंद्रकांत राय [more…]
अगस्त के महीने को यदि हरिशंकर परसाई का महीना कहा जाए तो कम से कम साहित्य जगत में किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। 22 [more…]
हरिशंकर परसाई हिंदी के पहले रचनाकार थे, जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के-फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के [more…]
इंदौर। आजादी के पहले का हिंदुस्तान समझने के लिए प्रेमचंद को पढ़ना जरूरी है। अंग्रेजों और उनसे पहले मुगलों ने भी भारत को समझने के [more…]
एनसीईआरटी ने विद्यार्थियों का बोझ घटाने के नाम पर पाठ्य पुस्तकों में जो बदलाव किए, उनकी चर्चा इतिहास, राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र और विज्ञान की [more…]
व्यंग्य की चर्चा करते ही दो नाम सबसे पहले जेहन में उभरते हैं एक हरिशंकर परसाई दूसरे शरद जोशी। आधुनिक व्यंग्य के विकास में इन [more…]
मशहूर साहित्यकार हरिशंकर परसाई व्यंग्य के विषय में कहते थे– “व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है, जीवन की आलोचना करता है, विसंगतियों, अत्याचारों, मिथ्याचारों और [more…]
प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने [more…]