पत्रकारिता और सत्ता का संबंध: सवाल नहीं, तो पत्रकारिता कहां?

भारत में लोकतंत्र की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि पत्रकारिता कितनी स्वतंत्र, निर्भीक और उत्तरदायी है।…

यहां किसी का कोई अधिकार नहीं

हाल में हिंसा का सामना कर चुकी एक महिला ने इंस्टाग्राम पर उसके साथ हुई दर्दनाक हिंसा (भावनात्मक, शारीरिक, और…

युद्धकाल और पत्रकारिता : क्या पत्रकार No Man’s Land पर खड़े होकर रिपोर्ट कर सकता है? 

दोस्तो, सबसे पहले एक सीधा सवाल- क्या मैच रेफरी या अंपायर, खिलाड़ी की भूमिका में आ सकते हैं? यानी एक…

युद्धोन्माद के बहाने जन पत्रकारिता पर हमला

भारत में आतंकवाद खत्म करने के नाम पर मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। दो महिला सैन्य अधिकारियों से…

पत्रकारिता के बीच देखी संवेदनहीन समाज की आवाज़ है ‘प्रतिरोध के स्वर”

समदर्शी प्रकाशन से प्रकाशित ‘प्रतिरोध के स्वर’ काव्य संग्रह के कवि वरिष्ठ लेखक पत्रकार प्रमोद झा हैं। उनका यह तीसरा…

जनपक्षधर पत्रकारिता और डिजिटल सेंसरशिप

पत्रकारिता को दिन-ब-दिन मुश्किल बनाया जा रहा है। अख़बारों और टीवी चैनलों की धूर्तता अब किसी से छिपी नहीं है,…

‘मिलकर बात करने का वायदा अधूरा रह गया मुकेश चंद्राकर’

दिल्ली। मुकेश चंद्राकर बस्तर की पत्रकारिता का वह नाम जिसे देश-विदेश से आने वाले सभी पत्रकार मिलने की इच्छा रखते…

राष्ट्रीय मीडिया से वंचितों का भरोसा उठ रहा है

स्वतंत्र भारत में यदि दिल्ली की उर्दू पत्रकारिता की बात होगी, तो महफूज़ुर रहमान का नाम अवश्य लिया जाएगा। आप…

कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान: जहां सवर्ण प्रगतिशीलों की अनुपस्थिति खल रही थी

नई दिल्ली। पांचवां कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान समारोह 15 नवम्बर को दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में हुआ जिसकी अध्यक्षता…

पत्रकारों और पत्रकारिता की हिमायत में गुजारिश: सारे धान पसेरी के भाव मत तौलिये !

3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस था। पर कुछ गुणी और सुधी मित्रों की ऐसी टिप्पणियां दिखीं जिनमे इन दिनों…