lake
उर्मिलेश की कलम से
उत्तराखंड डायरी-1: दो शताब्दियों की यादें, गिर्दा की कोठरी और पहाड़ के नये-पुराने दोस्त
उर्मिलेश -
फरवरी, 2020 के बाद यह पहला मौका था, जब मेरे जैसा घुमक्कड़ अपने घर-शहर से बाहर निकला। कोविड-19 के प्रकोप और आतंक ने मनुष्यता को जितना सताया और डराया है, वह अभूतपूर्व है। साढ़े छह दशक के अब तक...
पहला पन्ना
भारत-चीन संघर्ष: राजनाथ सिंह की बात कितनी सच?
भारत और चीन की सेना एलएसी को ध्यान में रखकर पेंगॉंग झील के उत्तर-दक्षिण में अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने को तैयार हुई है और यह काम चल रहा है। देश की संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के...
पहला पन्ना
चीन ने भारत पर फायरिंग के जरिये गंभीर सैन्य उकसावे का लगाया आरोप
Janchowk -
नई दिल्ली। चीनी सेना ने अपने एक बयान में भारत पर सोमवार की रात को आक्रामक तरीके से फायरिंग करने का आरोप लगाया है। घटना चोशुल सेक्टर के पैंगांग झील के दक्षिण किनारे पर हुई है। इसके साथ ही...
ज़रूरी ख़बर
सीमा विवाद पर चिदंबरम: चीन ने पेश की भारत के सामने कठिन चुनौती
पिछले हफ्ते हमने भारत के भूगोल के बारे में और ज्यादा जाना। अपरिचित नाम जैसे गलवां घाटी, पैंगोंग त्सो (झील) और गोगरा, जो कि सभी लद्दाख में हैं, अब हमारे घरों में प्रवेश कर गए हैं।
यह घुसपैठ है।
भारत-चीन के...
बीच बहस
सरकार साफ़ क्यों नहीं बताती कि भारत-चीन वार्ता की एक और कोशिश भी नाकाम रही?
शनिवार, 6 जून को लेह-लद्दाख के चुशुल-मोल्डो क्षेत्र में सीमावर्ती बैठक स्थल पर हुई लेफ़्टिनेंट जनरल स्तरीय बातचीत भी बेनतीज़ा ही रही। हालाँकि, राजनयिक दस्तूर को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने ऐसा साफ़-साफ़ कहने से परहेज़ किया है। फिलहाल,...
संस्कृति-समाज
‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त; हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’
Janchowk -
श्रीनगर। यह डल लेक है। सामने जो दृश्य दिख रहा है वह पीर पंजाल रेंज है। शायद ऐसा ही दृश्य देखकर जहांगीर ने फारसी में कहा था, 'गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त'...
पहला पन्ना
कश्मीर पर कहर(पार्ट-2): डल झील और “दलाल स्ट्रीट” के बीच की समाजवादी व्यवस्था!
श्रीनगर। नौहट्टा स्थित जामा मस्जिद के सामने मोटरसाइकिल पर खड़ा शख्स जो अपने
बच्चे के आजादी का नारा लगाने की बात कर रहा था दूसरे ही पल घर चलकर चाय पीने की
पेशकश करने लगा। उसके व्यवहार को देखकर मुझे एक...
Latest News
बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को टेका लगाती फिल्में: स्वातंत्र्यवीर सावरकर
फिल्म जनसंचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो सामाजिक समझ को कई तरह से प्रभावित करता है। कई दशकों...
You must be logged in to post a comment.