किसी जुगनू की तरह मुझे उड़ जाने दो
घने अंधेरे में जरा रोशनी तो फैलाने दो
बीसवीं सदी में यह काम बिजली ने किया, रोशनी की आवश्यकता आदिकाल से रही है। पाषाण काल, अनुमानित 25 से 20 लाख साल पहले, पत्थरों को...
भूखे-बेबस ग़रीबों के पिटते-गिरते काफ़िलों को सब देखते रहे। बहुतेरे एक आश्वस्ति की अनुभूति के साथ और कुछेक ज़रा अफ़सोस के साथ कि इन्हें तो झेलना होता ही है। चलिए, इनकी `क़िस्मत में तो यही बदा है` पर इलीट-पावरफुल...
( कल नौ बजे नौ मिनट के दीया, मोमबत्ती या फिर मोबाइल, टार्च के जरिये प्रकाश करने के पीएम मोदी के आह्वान की एक हिस्से में बड़ी आलोचना हो रही है। उसका कहना है कि सरकार कोरोना से निपटने...