Thursday, April 25, 2024

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रोज़ कुआँ खोदकर पानी के जुगाड़ की नीति से नहीं संभलेगा देश

कहते हैं बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताय, काम बिगाड़े आपनो जग में होत हँसाय। लॉक डाउन को लेकर पूरे देश की स्थिति कुछ ऐसी ही हो गयी है। बिना होमवर्क किये अचानक 22 मार्च के जनता कर्फ्यू...

पीएम मोदी की सबसे बड़ी ताक़त बन गए हैं लंपट अंधभक्त

 दुष्यंत कुमार का एक शेर है,  मत कहो आकाश में कुहरा घना है यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। इस मुल्क में मध्यवर्ग का ऐसा कुत्सित अंध भक्त तबका पैदा हो गया है जो सरकार की हर सही-गलत नीति-काम का महिमा मंडन...

इतनी निर्लज्जता कहां से लाते हो महारथी?

यह भारत का दूसरा विभाजन है। यह पहले से भी त्रासदपूर्ण है। क्योंकि यह आंतरिक है। बस अंतर केवल इतना है कि पहले में लोग अपने घरों से निकल कर हज़ारों हज़ार किलोमीटर के अनजाने गंतव्यों के लिए निकले...

अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक विफलता है लॉक डाउन

दिल्ली से सबसे अधिक पलायन हुआ। कहा जा रहा है कि " दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने राज्य में रह रहे मजदूरों, कामगारों और विभिन्न राज्यों से आये हुए प्रवासी लोगों को नहीं रोका और सबको यूपी की...

अपराध की पराकाष्ठा: यूपी के बरेली में कीड़े-मकोड़ों की तरह इंसानों पर किया गया कीटनाशक का छिड़काव

भूखे प्यासे दिल्ली एनसीआर से पैदल आए ये मजदूर नहीं कीड़े मकोड़े हैं, ये बैक्टीरिया और वायरस की वाहक मक्खियाँ और मच्छर हैं। कम से कम यूपी सरकार और यूपी प्रशासन इन्हें यही समझता है। तभी तो उत्तर प्रदेश...

पंजाब से भी पलायनकर्ता मजदूर पैदल सफर पर

कोरोना वायरस ने अब पंजाब में रोजी-रोटी के लिए आए प्रवासी मजदूरों को भी पलायन की राह अख्तियार करने पर मजबूर कर दिया है। बड़ी तादाद में वे पैदल घरों को लौट रहे हैं। खासतौर से वे जो लॉकडाउन...

जिनके पेट में अनाज भी नहीं था योगी ने वसूले उनसे हजार-हजार रुपये

नई दिल्ली। सत्ता और उसमें बैठे लोग किस हद तक बेशर्म हो गए हैं उसको लॉक डाउन से बेहाल प्रवासी मज़दूरों के साथ उसके व्यवहार में देखा जा सकता है। रास्ते में कहीं उसे पुलिस की लाठियाँ मिल रही...

‘जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप होहिं नरक अधिकारी !’

आज दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर बहुत अधिक शेयर की जा रही हैं। एक तस्वीर है प्रकाश जावड़ेकर की जो सूचना प्रसारण मंत्री हैं और दूसरी तस्वीर है केशव मौर्य की जो यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इस...

संपन्न तबके ने अपने ही ‘चाकरों’ को धकेल दिया सड़कों पर

आख़िर उत्पीड़ितों को दोषी ठहराने का अभियान शुरू हो गया है। फ़ासिस्ट दिमाग़ जिस तरह की कार्यशैली अपनाते रहे हैं, उसे देखते हुए यही होना था। सड़कों पर ग़रीबों के जो हुज़ूम जिनमें युवा स्त्री-पुरुष, उनके मासूम बच्चे, बूढ़े परिजन...

पत्नी को कंधे पर बैठाकर तय की हज़ारों किमी की दूरी

लोककथाओं में हमने श्रवण की कहानी सुनी थी। जिसमें वह दोनों आँखों से न देख सकने वाले अपने माता-पिता को तराज़ू में रखकर अपने कंधे के सहारे तीर्थाटन कराते हैं। लेकिन एक शख़्स अपनी पत्नी के लिए श्रवण बन...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...