देश के वर्तमान शासकों के लिए आजकल इतिहास बदलने की जैसे हड़बोंग सी मची हुई है। साम्प्रदायिक आधार पर इतिहास को नकारने और नए सिरे से लिखे जाने के शोर में सच जैसे कहीं दब सा गया है।
तकरीबन दो...
शाहजी राजे भोंसले (1594-1664) 17वीं शताब्दी के एक सेनानायक और बीजापुर तथा गोलकुंडा के मध्य स्थित जागीर कोल्हापुर के जागीरदार थे। वे कभी एक सल्तनत का आधिपत्य मानते तो कभी दूसरे का। अंतत: 23 जनवरी, 1664 को शिकार खेलते...
एबीपी न्यूज पर एक डिबेट के दौरान एंकर रुबिका लियाकत ने यह सवाल पूछा कि, कांग्रेस के कितने नेताओं को कालापानी की सज़ा मिली थी ? इसके उत्तर में कांग्रेस के प्रवक्ता ने गांधी, नेहरू की जेल यात्राओं के...
गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के नाम पर एक नशेड़ी, गरीब, दलित सिख लखबीर सिंह को जिस बेरहमी से निहंगों ने मारा, हाथ काटे और उसकी लाश को बैरिकेड पर लटका दिया गया उससे तमाम संवेदनशील व्यक्ति सदमे में...
शेख मोहम्मद इब्राहिम ‘ज़ौक़’ (1788-1854)
ज़ौक़ का नाम आते ही क्या विचार आता है? अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर, के उस्ताद। ज़्यादातर उनके बारे में इससे ज्यादा कोई याद नहीं रखता। ज़ौक़ के जीवन, उनकी शायरी, और उनकी शख़्सियत...
इस साल (2021) 01मई को नौवें सिख गुरू तेग बहादुर की 400वीं जयंती मनाई गई। सिख पंथ को सशक्त बनाने में गुरूजी का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने अपने सिद्धांतों की खातिर अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए थे।
गुरू नानक...
ये जरनैली सड़क है साहेब,
तारीखी अज्म से मुलविस,
इसके इकबाल और जलाल की मीनारें गवाह हैं शहँशाहों, हुकमरानों के नापाक मंसूबों की!
ये आवाम की शहादतों में मगनून आज भी ज़िन्दा है!
भारत में अलग-अलग दौर में बहुत से संघर्षों की दास्तानें...
सदियों से हमारे देश का किरदार कुछ ऐसा रहा है कि जिस शासक ने भी सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व की भावना से सत्ता चलाई, उसे देशवासियों का भरपूर प्यार मिला। देशवासियों के प्यार के ही बदौलत उन्होंने भारत पर वर्षों राज...