“सब सच है क्योंकि, कहानी ही झूठी है” - आखिर क्या है इन पंक्तियों के मायने जिन्हें अपनी सांस्थानिक हत्या से महज चंद सेकेंड पहले जम्मू यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर ने अपने कमरे के बोर्ड पर लिखा था।...
मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के विचारों में समाजवादी समाज और समाजवादी राज्य के अंगों की जो कटी-छँटी छवियाँ थीं, उन्हें रूस में नवंबर क्रांति और सोवियत संघ के विकास के साथ पहली बार एक समग्र, एकजुट छवि की पहचान...
यह एक विडम्बना है कि जिस देश की जड़ें तथाकथित आध्यात्मिकता में रहीं हैं, उसके धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान उसे नैराश्य और अवसाद का सामना करने में मदद नहीं कर पाए हैं! गीता को विश्व की महानतम धार्मिक और...
विवादों के कारण ही सही प्रेमचंद का साहित्य फिर से ज़ेरे बहस है। दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य कहा है, लेकिन स्त्री लेखन की ओर से अभी कोई गंभीर सवाल नहीं उठाया गया...
बात सिर्फ़ अंधभक्तों की ही नहीं है। अंधभक्तों की आंखों पर तो पट्टियां बंधी ही हुई हैं लेकिन आज राष्ट्रपति, डॉक्टर्स, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर्स, मंत्री, संतरी, टीचर्स, और अन्य पढ़े-लिखे तबक़े सभी को आज थाली, ताली, घण्टी और शंख बजाते...