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बीच बहस
हिंदी का लेखक-प्रकाशक विवाद: साहित्य और जीवन के भ्रम और यथार्थ
सोशल मीडिया पर हिंदी के लेखकों और प्रकाशकों के बीच संबंध के बारे में अभी जो बहस उठी है, वह जितनी दिलचस्प है, उतनी ही विचारोत्तेजक भी है। इसमें एक प्रकार से हिंदी साहित्य और पाठकों के बीच के...
संस्कृति-समाज
हिंदी प्रकाशक चुरा रहे हैं लेखकों की मेहनत की कीमत
हिंदी के अप्रतिम लेखक विनोद कुमार शुक्ल के ऑडियो और वीडियो से उनके प्रकाशकों द्वारा उनका शोषण किये जाने की घटना के रहस्योद्घाटन से हिंदी जगत का एक हिस्सा काफी हद तक हतप्रभ है और उसने सोशल मीडिया पर...
ज़रूरी ख़बर
शांति स्वरूप बौद्ध : एक अप्रतिम बहुजन योद्धा
जून 06, 2020 को अचानक ख़बर मिली कि बौद्धाचार्य शांति स्वरूप बौद्ध नहीं रहे। वह 71 वर्ष के थे। पिछले कई दिनों से वह दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कोरोना वायरस से जूझ रहे थे। जीवन...
संस्कृति-समाज
डाॅ. श्याम बिहारी राय: प्रकाशन जगत का ध्रुवतारा
Janchowk -
डाॅ. श्याम बिहरी राय का जाना मात्र एक प्रकाशक का जाना नहीं है बल्कि यह प्रकाशन के साथ समाज, साहित्य आौर विचार की दुनिया की बड़ी क्षति है। उन्हें सामान्य प्रकाशक के रूप में न कभी देखा गया और...
संस्कृति-समाज
ख़ुद में एक अकादमी थे डॉ. श्याम बिहारी राय
नई दिल्ली। पूंजीवाद ने किताबों को उत्पाद बनाने के साथ ही दो तरह का खेल शुरू किया, पहला किताबों के प्रकाशन-उत्पादन को पाठक की पसंद के दायरे तक सीमित किया। दूसरा किताबों का मूल्य अधिक रखकर इसे वर्ग विशेष...
Latest News
AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र
लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।
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