सवाल न्याय का है तो नूह की नौका में विचार और विवेक को बचाने का भी है
सभ्यता की शुरुआत से ही अनवरत आवाज गूंजती रही है, ‘न्याय चाहिए, न्याय चाहिए’! कानून का राज बहाल रहने की स्थिति में जब नीति-नैतिकता सिर [more…]
सभ्यता की शुरुआत से ही अनवरत आवाज गूंजती रही है, ‘न्याय चाहिए, न्याय चाहिए’! कानून का राज बहाल रहने की स्थिति में जब नीति-नैतिकता सिर [more…]
सभ्यता पर आरंभ से ही किसी-न-किसी तरह से न्याय का सवाल दबाव में रहा है। साथ ही, यह भी सच है कि अन्याय से बचाव [more…]