नई दिल्ली। किताबों की दुनिया हर दो-तीन साल में थोड़ी सी परिवर्तित जाती है लेकिन उस फ़र्क को बहुत साफ-साफ नहीं पहचाना जा सकता। यह एक धीमे बदलाव वाली संस्कृति है। हर साल के मुकाबले इस साल मैंने किताबें...
वर्तमान लोकतांत्रिक भारत राष्ट्रवाद के जिस रास्ते पर चल रहा है, उसमें ‘भारत माता’ के नाम का इस्तेमाल असहमति रखने वाले अपने ही नागरिकों को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है। आखिर कौन हैं ये भारत माता?...