Tag: Republic TV
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अपनी ही नफरत की आग में जल जाएंगे अर्णब और कंगना!
महाराष्ट्र सरकार ऐसा लगता है कि अर्णब गोस्वामी को नायक बनाकर ही दम लेगी। न्यू इंडिया की आक्रामक, हिंसक तथा विभाजनकारी विचारधारा की लाक्षणिक विशेषताओं से परिपूर्ण, किंचित असमायोजित व्यक्तित्वधारी अतिमहत्वाकांक्षी अर्णब को महाराष्ट्र सरकार ने अपनी कोशिशों से निरंतर चर्चा में बनाए रखा है। इसके पूर्व भी महाराष्ट्र सरकार कंगना को महाराष्ट्र की राजनीति…
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अर्णब गोस्वामी: कितनी पत्रकारिता, कितनी आजादी और कितना अपराध?
अर्णब मामले में ताजी खबर यह है कि 9 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत की उनकी अर्जी खारिज कर दी है, और उन्होंने सत्र न्यायालय में भी जमानत के लिए अपनी अर्जी लगाई है, जिस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। भले ही अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी उनके निजी व्यावसायिक लेनदेन…
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अर्णब की गिरफ्तारी और पत्रकारों का निर्गुण गान
अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद उदारवादी पत्रकारों का बड़ा हिस्सा गजब की दुविधा में नजर आया। इसमें सिद्धार्थ वरदराजन और रवीश कुमार जैसे वे चेहरे भी शामिल हैं, जो सच्चे पत्रकार हैं और देश के लोकतंत्र को बेहतर बनाने के लिए लड़ रहे हैं। आम लोगों से उनके दिली रिश्ते हैं। उन लोगों को…
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अर्नब केसः काम करा कर किसी मिस्त्री का पैसा दबा लेना, यह कौन सी पत्रकारिता है?
अर्नब गोस्वामी धारा 306 आइपीसी, (आत्महत्या के लिए उकसाने) के एक मामले में जेल में हैं। इस मुकदमे के बारे में कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और पुलिस कमिश्नर मुंबई ने अर्नब की पत्रकारिता के दौरान उठाए गए कुछ सवालों को निजी तौर पर ले लिया है। यह बात अगर सच भी हो…
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पनसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी, गौरी के कत्ल का तमाशा देखने वालों को याद आ रही अभिव्यक्ति की आजादी
नाम तो याद होगा पनसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी, गौरी लंकेश, देवजी महेश्वरी, ये वह नाम हैं, जिसे लिखने-बोलने की वजह से मौत के घाट उतार दिया गया था। इस सूची में अन्य और भी नाम हैं। यह वही देश है, जहां लोगों ने अपने हिसाब से अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब निकाल लिया है। मतलब निकालने…