एक तिहाई आबादी सदा पाखंड यात्राओं और पाखंड के अड्डों पर भटकती रही। लाख समझाओ मगर बुद्धिहीनों की भीड़ कहां…
सुनो सरकार! कब करोगे गरीबों का उद्धार?
मयस्सर नहीं उसे दो कौर निवाले, गर्मी हो बरसात हो या पड़े पाले वो छांव ढूंढता है,वो ठांव ढूंढता। कैसे…
एक तिहाई आबादी सदा पाखंड यात्राओं और पाखंड के अड्डों पर भटकती रही। लाख समझाओ मगर बुद्धिहीनों की भीड़ कहां…
मयस्सर नहीं उसे दो कौर निवाले, गर्मी हो बरसात हो या पड़े पाले वो छांव ढूंढता है,वो ठांव ढूंढता। कैसे…