वाराणसी। कभी बनारस की तंग गलियों में खटखटाते करघों की आवाज़ें हवा में रचती थीं एक संगीत-रेशमी, स्वदेशी और आत्मीय।…
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वाराणसी। कभी बनारस की तंग गलियों में खटखटाते करघों की आवाज़ें हवा में रचती थीं एक संगीत-रेशमी, स्वदेशी और आत्मीय।…