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बीच बहस
जन्मशती पर विशेष: साहिर न होते तो फ़ासिज़्म और क़रीब होता
(साहिर, 8 मार्च 1921- 28 अक्तूबर 1980; जन्म-शती साल)
साहिर लुधियानवी की बेशुमार लोकप्रियता से रश्क और रंजिश रखने वाली अदीबों की दुनिया में एक बहस उछाली जाती रही है कि साहिर रोमेंटिक शाइर हैं या पॉलिटिकल। यह भी...
बीच बहस
वर्मा मलिक की पुण्यतिथि: गीतकार, हर शादी में बजता है जिसका गाना
हिंदी फिल्मी दुनिया के एक सदी से ज्यादा के इतिहास में कई गीतकार और संगीतकारों ने अपने गीत-संगीत से फिल्मों के आंगन को गुल-ओ-गुलज़ार किया है। इस लंबे सफर में बहुत से गीतकार ऐसे रहे, जिन्होंने तुलनात्मक तौर पर बेहद...
संस्कृति-समाज
शकील बदायूंनी की जयंती पर विशेष: ’‘मैं ‘शकील’ दिल का हूं तर्जुमा…’’
‘‘मैं ‘शकील’ दिल का हूं तर्जुमा, कि मुहब्बतों का हूं राज़दां/मुझे फ़क्र है मेरी शायरी, मेरी जिंदगी से जुदा नहीं’’ शायर शकील बदायूंनी की गजल का यह शानदार शेर वाकई उनकी पूरी जिंदगी और फलसफे की तर्जुमानी करता है।...
Latest News
आइये, मोदी सरकार संग बेरोज़गारी दूर करें: तीन पोस्ट, तीनों हैरतअंगेज़ भरी!
फेसबुक पर मोदी-नेतृत्व के भाजपा सत्ता प्रतिष्ठान के चरित्र से जुड़ी तीन पोस्टों पर नज़र पड़ी। तीनों ही बेहद...
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