तहज़ीब की रूह कभी-कभी चीख़ती नहीं, सिसकती है। वो शोर नहीं मचाती, बस ख़ामोश होकर हमारी पेशानी से अपना नूर…
प्रवासी मजदूरों के लिए फरिश्ता बन गए हैं 80 वर्षीय मुजीबुल्लाह
इंडियन एक्सप्रेस में कल फोटो के साथ एक खबर छपी थी कि एक 80 वर्षीय कुली ‘मुजीबुल्लाह’ चारबाग-लखनऊ रेलवे स्टेशन…