आम्बेडकर कम्युनिस्टों के लिए ही नहीं बल्कि बहुतेरे दलितों के लिए भी अबूझ हैं।हाल कुछ उस कथा जैसी है जिसमें किसी हाथी को नेत्रहीन लोग उतना ही बूझ पाए जितना वे हाथी को स्पर्श कर सके। जिसने सूंड़ स्पर्श...
आज वास्तव में इस देश में रहकर यह विश्वास करना कठिन होता जा रहा है कि हम भारत के लोग क्या वास्तव में इक्कीसवीं सदी के ज्ञान-विज्ञान के अंतरिक्ष युग में जी रहे हैं या हम आज से दस-बीस...
स्वामी विवेकानंद देश के महानतम प्रज्ञा पुरुष थे। 4 जुलाई, उनकी 118वीं पुण्यतिथि है। साल 1902 में आज ही के दिन पश्चिम बंगाल के बेलूर मठ में ध्यानावस्था में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली थी। महज 39 साल की...
23 मार्च 1931 को साढे तेईस वर्ष की उम्र में फांसी पर चढ़ा दिए गए भगत सिंह ( 28 सितम्बर 1907 - 23 मार्च 1931) ने प्रचुर लेखन किया है। अपने लेखन में वे गंभीर अध्येता और चिंतक के...
ईवी रामास्वामी पेरियार के 'द्रविड़ कड़गम आंदोलन' का केवल एक ही निशाना था आर्य ब्राह्मणवादी और वर्ण व्यवस्था का अंत कर देना, जिसके कारण समाज ऊंच और नीच जातियों में बांटा गया है। द्रविड़ कड़गम आंदोलन उन सभी शास्त्रों, पुराणों और देवी-देवताओं में...