हिफ़ाज़त का रंग न मज़हब देखता है, न जात – ऑपरेशन सिंदूर की गवाही

कुछ लम्हे अल्फ़ाज़ नहीं मांगते, वो ख़ुद तहरीर बन जाते हैं। ऑपरेशन सिंदूर भी ऐसा ही एक लम्हा था- जब…