Saturday, April 20, 2024

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आइडिया ऑफ इंडिया की रीढ़ थे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

मौलाना आज़ाद के विचार और उनका लेखन सबसे कठिन होता है धार्मिक कट्टरता और धर्मान्धता से उबल रहे समाज में, सेक्युलर सोच या सर्वधर्म समभाव के, सार्वभौम और सनातन मूल्यों को बचाये रखना, उन पर टिके रहना और उनके पक्ष...

भारत में जन इतिहास लेखन

इतिहास को लेकर, वतर्मान में हो रहे बदलाव इतिहासकारों के नजरिए को किस तरह बदल देते हैं यह जानना आवश्यक है। भारत के इतिहास के बारे में जब यह विचार पैदा हुआ कि भारत का जन इतिहास लिखा जाना...

अब रिटायर्ड नौकरशाहों पर शिकंजा! सरकार ने छीनी लिखने और बोलने की आजादी

नई दिल्ली। मीडिया की आजादी को लेकर विवादों और अदालत तक मामले पहुंचने के क्रम के बीच नरेंद्र मोदी सरकार के एक और फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विसेंज़ (पेंशन) नियम – 1972...

स्मृति शेष:लेखक और पत्रकार राजकुमार केसवानी, जिनकी तमाम तहरीर में हिंदोस्तानी तहज़ीब झलकती थी

राजकुमार केसवानी से मेरा पहला तआरुफ़ उनके वीकली कॉलम ‘आपस की बात’ के मार्फ़त हुआ, जो मध्य प्रदेश के एक रोज़नामा अखबार में साल 2007 से रेगुलर आता था। इस कॉलम में उनके हिंदी फिल्मों का काबिल-ए-तारीफ़ इल्म, हिंदी-उर्दू...

पुण्यतिथिः साहित्य में दलित और स्त्री को विमर्श तक ले आने वाले राजेंद्र यादव विवादों से कभी हारे नहीं

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर दीगर लेखन और विमर्शों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। कथाकार राजेंद्र यादव का...

स्मृति शेष: मोहनदास के महात्मा गांधी बनने की प्रमाणिक कथा लिखने वाले लेखक गिरिराज किशोर

अपने वृहद उपन्यास 'पहला गिरमिटिया' के जरिए महात्मा गांधी के 'महात्मा' होने से पहले की जीवन प्रक्रिया के अनगिनत अनछुए पहलू विस्तार से व्याख्ति करने वाले गिरिराज किशोर उस वक्त विदा हुए हैं जब एक विचारधारा विशेष से वाबस्ता...

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तब की घोषित इमरजेंसी से भयानक है आज का अघोषित आपातकाल?

18 वीं लोकसभा के लिए चुनावों का पहला चरण हो चुका है; 62 प्रतिशत  से अधिक मतदान के साथ...