नई दिल्ली। अब सभी छात्रों और शिक्षकों के लिए पीएम मोदी का भाषण सुनना अनिवार्य हो जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे सोमवार को अपने छात्रों और संकाय सदस्यों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे पहले यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को पीएम मोदी की तस्वीरों के साथ सेल्फी प्वाइंट बनाने का निर्देश दिया था।
पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए “विकसित भारत@2047: युवाओं की आवाज” परामर्श कार्यक्रम में भाषण देंगे। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे अपने परिसरों से इस कार्यक्रम को देखने की व्यवस्था करें। यूजीसी सचिव मनीष जोशी की ओर से देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को जारी एक पत्र में कहा गया है कि, ”आपसे अनुरोध है कि आप अपने प्रतिष्ठित संस्थान में कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए व्यवस्था करें।”
इतना ही नहीं पत्र में भाषण का ऑनलाइन लिंक साझा करने के लिए भी कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि “आपसे यह भी अनुरोध है कि आप सभी छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ वेबकास्ट लिंक साझा करें और उन्हें इस महत्वपूर्ण अवसर का लाइव वेबकास्ट देखने के लिए प्रोत्साहित करें। आपकी सक्रिय भागीदारी इस आयोजन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।”
पत्र में वेबकास्ट का लिंक pmindiawebcast.nic.in भी दिया गया है। इस पत्र को पाने के बाद ही यूजीसी ने अपने सभी विश्वविद्यालयों को ये निर्देश जारी किए हैं। यूजीसी के इस कदम की कुछ शिक्षाविद और सांसद आलोचना कर रहे है।
डीएमके सांसद पी. विल्सन ने कहा कि विश्वविद्यालयों में सेल्फी पॉइंट बनाने और छात्रों को प्रधानमंत्री का भाषण देखने के लिए कहना ऐसा लगता है जैसे यूजीसी सरकार का प्रचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि “यूजीसी अधिनियम के तहत यूजीसी का काम उच्च शिक्षा के मानकों को सुनिश्चित करना है, जिसके लिए वह अनुदान देता है। यूजीसी के पास संस्थानों को इसके अलावा कुछ भी करने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है।”
एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने कहा कि छात्रों को चर्चा का मौका दिए बिना प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए मजबूर करना “शैक्षिक भावना” के खिलाफ है।
उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री को सुनना गलत नहीं है। लेकिन अगर यह कॉलेज परिसरों में राजनीतिक प्रचार का तरीका बन जाता है तो यह गलत है। विश्वविद्यालय स्वतंत्र हैं। वे ऐसी कोशिशों का विरोध कर सकते हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि हाल के वर्षों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नियुक्त अधिकांश कुलपति सरकार के एजेंडे को लागू करने के लिए तैयार दिखे। उन्होंने कहा “विश्वविद्यालय किसी भी दृष्टिकोण को चुनौती देने का स्थान होते हैं, किसी दृष्टिकोण को कुचलने का नहीं।”
वहीं, सरकार कार्यशालाएं भी आयोजित करने की योजना बना रही है जिसमें शैक्षणिक संस्थानों को भी शामिल किया जाएगा। सरकार की प्रचार शाखा, प्रेस सूचना ब्यूरो की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मोदी देश भर के राजभवनों में आयोजित कार्यशालाओं में सभी राज्य स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को संबोधित करेंगे जिनमें राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति और उनके संकाय सदस्य भी शामिल होंगे।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि कार्यशालाएं “विकसित भारत @2047 के लिए अपने विचारों और सुझावों को साझा करने के लिए युवाओं को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होंगी।”
यह साफ नहीं है कि कार्यशालाएं कब आयोजित की जाएंगी और उनका संचालन कौन करेगा। कार्यशालाओं को दिखाए जाने के अलावा, राज्य-स्तरीय शिक्षाविदों के लिए मोदी के भाषण को निजी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर भी दिखाया जाएगा।
(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)
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