भारत-पाकिस्तान में तनाव और जम्मू-कश्मीर में फैले सन्नाटे और दहशत के बीच सुरक्षित जगह तलाशते लोग

धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू और कश्मीर आज लहूलुहान है। भयभीत और दहशत में है लेकिन सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा के जज्बे से भरा हुआ है। स्थानीय लोगों की आँखों में जब आप झांककर देखिये तब पता चलता है कि उनकी जेहन में कितना दर्द है, गम है लेकिन भारत जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा के नारे भी उनकी जुबान से निकलते देर नहीं लगती।

भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बढ़ते आसार को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के लोग बस यही कह रहे हैं कि ”हमने बहुत गम झेले हैं। आज भी झेल रहे हैं। जम्मू में भले ही गम कम हों लेकिन घाटी का ऐसा कोई घर नहीं बचा है जहाँ मातम का माहौल नहीं रहा हो। सबने अपने लोगों को खोया है लेकिन हम पाकिस्तान की करतूतों और वहां के आतंकियों के खेल को भला कैसे भुला सकते हैं। अब भारत सरकार को कोई बड़ा फैसला लेने की जरूरत है। 

दुश्मन को सदा के लिए ख़त्म कर देना ही बेहतर हैं ताकि जब तक ज़िंदा रहे, आजाद रहें और अपने मुताबिक जिन्दा तो रह सकें। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच जम्मू कश्मीर से बस यही आवाज आ रही है। बहुतेरे लोग पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शांति की कामना कर रहे हैं और युद्ध तो कदापि नहीं चाहते। जम्मू के साबिर कहते हैं कि ”हम तो गाँधी को मानने वाले लोग हैं।

गाँधी तो सत्य और अहिंसा की बात करते थे लेकिन पाकिस्तान ने तब भी गाँधी की बात नहीं मानी और आज भी वही सब कर रहा है। लेकिन खेल देखिये आज हमारा भारत कहाँ है और दुष्ट पाकिस्तान किस हाल में है। आज हमारे सामने जो चुनौतियाँ आ पड़ी हैं वह सब इसी पाकिस्तान और आतंकियों की वजह से ही हुआ है। हम अशांत हो गए हैं अजर सुरक्षित जगह की तलाश में हैं ताकि जान तो बचे। ”

भारत -पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव में जम्मू कश्मीर के लोग अब सुरक्षित जगह की तलाश में हैं। वहां असहज शांति है। सन्नाटा है। सब कुछ होता भी दिख रहा है लेकिन सब कुछ मौन होकर। कोई किसी से बात करने को तैयार नहीं। कोई बात भी करता है तो बस यही कहता है कि एक बार आर-पार की लड़ाई हो जाए ताकि हम सुकून में आ जाएं। बच्चे सहमे हुए हैं। महिलाएं कहीं खोई हुई नजर आती हैं और बुजुर्ग बहुत कुछ जानते हुए भी बोलते नहीं। आतंक का दर्द सबसे ज्यादा इन्हीं बुजुर्गों ने जो सहा है। 

पिछले तीन दिन से जम्मू-कश्मीर कुछ ज्यादा ही बेचैन है। यहीं के पहलगाम में जब 22 अप्रैल को आतंकियों ने हमारे 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी तो इलाके के लोगों में भारी रोष उमड़ पड़ा था। महिलाएं रोने लगी थीं और युवा बदले की भावना में बहने लगे थे। उम्मीद बस यही थी कि भारत सरकार पहलगाम का बदला पाकिस्तान और वहां के आतंकियों से ज़रूर लेगा। हर घर से यही पुकार आ रही थी कि जिसने हमारे लोगों को मारा है उसे भी मार गिराया जाए और जो आतंकियों को पालता है उसे सबक सिखाया जाए। 

इस घटना के दिन प्रधानमंत्री मोदी बिहार चले गए थे। देश के लोगों ने इसकी आलोचना भी की। लेकिन जब पीएम मोदी ने मधुबनी की सभा से यह ऐलान किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और उसे धरती के किसी भी कोने से खिंच कर लाया जाएगा तब जम्मू कश्मीर के लोगों को थोड़ी राहत मिली । उम्मीद जगी थी की भारत की सैन्य ताकत पाकिस्तान और आतंकियों को सबक सिखाएगी। 

एक पखवाड़ा गुजर गया। बैठकें होती रहीं। विपक्ष का साथ मिलते ही हमारी सेना ने 6 मई की दरमियानी रात में पाकिस्तान और पीओके के 9 ठिकानों पर टार्गेटेड एयर स्ट्राइक किया और आतंकियों के शिविरों को तबाह कर दिया। बड़ी संख्या में आतंकियों के मारे जाने की बात भी सामने आयी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस स्ट्राइक में सौ से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। 

इस स्ट्राइक का नाम रखा गया ऑपरेशन सिंदूर। पाकिस्तान को यह बताने के लिए यह काफी था कि भारत में एक चुटकी सिंदूर की क्या कीमत होती है। यह ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और इसका अंत कब होगा यह कोई नहीं जानता। लेकिन ऑपरेशन के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों ने स्वागत किया है और भारत की हर कर्रवाई के साथ तिरंगा को सलाम करते देखे जा रहे हैं। भारत की इस ताकत को पाकिस्तान भला कैसे सहन कर सकता है ?

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह से आतंकी ढांचों को नष्ट करने के उद्देश्य से था, और इसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। भारत ने लक्ष्य चयन और हमले के तरीकों में अत्यधिक संयम बरता, ताकि तनाव को बढ़ाने से बचा जा सके। बीते मंगलवार को यह हमला रात 1:44 बजे शुरू हुआ और भारतीय सुखोई-30 और राफेल फाइटर जेट ने प्रिसिजन स्ट्राइक वीपंस और लॉइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल किया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम अपने आप में एक शक्तिशाली सांस्कृतिक और भावनात्मक संदेश देता है। पहलगाम हमले में कई नवविवाहित जोड़ों की जान गई, जिससे कई महिलाओं का सुहाग उजड़ गया। भारतीय संस्कृति में सिंदूर विवाहित महिलाओं के लिए पति की लंबी उम्र और सौभाग्य का प्रतीक है। इस हमले ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि कई परिवारों को भावनात्मक रूप से तोड़ दिया।

इसलिए, इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखकर भारत ने न केवल पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि अब हर सुहाग को महफूज रखा जाएगा। इस नाम का सुझाव खुद पीएम मोदी ने दिया था, जो इस ऑपरेशन के प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाता है।

वहीं पाकिस्तान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता पर हमला करार दिया है और इसे “कायराना” बताया। पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान अपने चुने हुए समय और स्थान पर इसका जवाब देगा। पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि हमले में एक बच्चे की मौत हुई और दो लोग घायल हुए, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी इस हमले की निंदा की और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। भारत सरकार ने सभी सीमावर्ती राज्यों में ‘मॉक ड्रिल’ की शुरुआत कर दी है। इससे आम जनता को आपात राष्ट्रीय स्तर पर, भारत ने अपनी कार्रवाई को जिम्मेदार और नियंत्रित बताया। भारत ने स्पष्ट किया कि यह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई थी, न कि पाकिस्तान के साथ युद्ध की शुरुआत।

उधर भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान भारत पर हमला करने को तैयार हो गया और उसने कई प्रयास भी किये। जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा हमले किये जाने लगे। यह अभी भी जारी है। भारी मोर्टार और तोपखाने की गोलाबारी के कारण दहशत और तनाव व्याप्त है, जिसमें 16 लोग मारे गए हैं और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

जम्मू शहर सहित जम्मू क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में पाकिस्तान द्वारा मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद गुरुवार रात जम्मू, श्रीनगर और केंद्र शासित प्रदेश के अन्य हिस्सों में पूरी तरह से ब्लैकआउट रहा।जम्मू के एक निवासी ने कहा कि वे पूरी रात जागते रहे क्योंकि उन्हें सायरन और धमाके सुनाई दे रहे थे।उन्होंने कहा, “धमाके रात 2 बजे और सुबह 4 बजे तक भी होते रहे और हम सतर्क और सजग थे।” उन्होंने कहा कि जम्मू में असहज शांति बनी हुई है जबकि सामान्य जीवन अप्रभावित चल रहा है।

तनाव के बीच पाकिस्तानी बलों ने गुरुवार रात जम्मू में नागरिक क्षेत्रों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर समन्वित ड्रोन और मिसाइल हमले किए। भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने तेजी से जवाब दिया, जम्मू हवाई अड्डे सहित प्रमुख लक्ष्यों पर लक्षित सभी आठ मिसाइलों और कई ड्रोन को सफलतापूर्वक रोक दिया और बेअसर कर दिया। पाकिस्तान हतप्रभ है। उधर बीएसएफ ने जम्मू में घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम किया; सात आतंकवादियों को मार गिराया, पाकिस्तानी रेंजर्स की चौकी को नष्ट किया।

सेना ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने 08 और 09 मई 2025 की मध्य रात्रि को पूरे पश्चिमी सीमा पर ड्रोन और अन्य हथियारों का उपयोग करके कई हमले किए। पाक सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर कई संघर्ष विराम उल्लंघन भी किए। ड्रोन हमलों को प्रभावी ढंग से विफल किया गया और सीएफवी को मुंहतोड़ जवाब दिया गया। भारतीय सेना राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सभी नापाक मंसूबों का बलपूर्वक जवाब दिया जाएगा।”

सूत्रों ने कहा कि जम्मू में पाक ड्रोन और मिसाइल हमले का मुख्य लक्ष्य भारतीय वायु सेना बेस था। हालांकि, पाकिस्तान द्वारा दागे गए ड्रोन और मिसाइलों को वायु रक्षा प्रणाली द्वारा रोक दिया गया और बेअसर कर दिया गया।

श्रीनगर निवासी मुदासिर अहमद ने कहा, “मैंने ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। सायरन बज रहे थे, बिजली नहीं थी और पूरी तरह सन्नाटा था। चारों ओर दहशत थी और हमें नहीं पता था कि क्या होने वाला है।”

जैसे ही सूरज निकला और लोग बाहर निकले, सामान्य स्थिति लौट आई और लोगों ने अपने सामान्य जीवन के काम शुरू कर दिए।

श्रीनगर के एक बुजुर्ग निवासी अजीज ने कहा, “1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार हम ऐसी स्थिति देख रहे हैं। हम स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं। इसके अलावा, आप जानते हैं कि घाटी में लोगों के घरों में राशन का स्टॉक है, इसलिए वे घबराकर खरीदारी नहीं कर रहे हैं। हालांकि, अगर स्थिति और बिगड़ती है, तो लोग जरूरी सामान और खाद्य पदार्थों का स्टॉक कर सकते हैं।” 

पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जम्मू क्षेत्र का पुंछ है, जहां 13 नागरिक और एक सैन्यकर्मी मारे गए हैं। घाटी में, पिछले कुछ दिनों में उरी में पाकिस्तानी गोलाबारी का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा है। अब तक पाकिस्तानी गोलाबारी में उरी में एक महिला की मौत हो चुकी है और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। जम्मू में पाकिस्तान के असफल हवाई हमले के बाद महबूबा ने एक्स पर पोस्ट किया, “जम्मू के लोगों, खासकर सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए मेरी संवेदनाएं हैं, जो एक बार फिर संघर्ष की भयावह अनिश्चितता में फंस गए हैं।”

महबूबा ने कहा, “इस नाजुक क्षण में मैं उनकी सुरक्षा और मजबूती के लिए प्रार्थना करती हूं। मैं सभी पक्षों से संयम बरतने और तत्काल तनाव कम करने की अपील करती हूं। पहले ही बहुत से लोगों की जान जा चुकी है, शांति को और अधिक नष्ट नहीं होने देना चाहिए।” पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा की जा रही लगातार गोलाबारी ने हजारों लोगों को अपने घरों से भागने और सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों से भागने वाले लोगों के लिए आश्रय गृह बनाए हैं। 

पुंछ शहर में, जहां पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी में 14 लोग मारे गए थे, लगभग 70-80 प्रतिशत आबादी सुरक्षित स्थानों पर चली गई है।प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों से स्थानांतरित होने के इच्छुक लोगों के लिए आठ स्थानों पर आश्रय शिविर स्थापित किए हैं।सीमावर्ती निवासी स्थिति के शांत होने और शांति लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं।

उरी निवासी अब्दुल गफ्फार ने कहा, “हमसे बेहतर शांति का महत्व कोई नहीं जानता। हम क्रॉस-एलओसी गोलीबारी और गोलाबारी में अपने घर, आश्रय और अपने प्रियजनों को खो देते हैं। तनाव कम होना चाहिए और दोनों देशों को बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाना चाहिए।”

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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