छत्तीसगढ़ः दुगली आगजनी कांड में प्रशासन कर रहा लीपापोती की कोशिशः माकपा

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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में दुगली आगजनी कांड में जांच के नाम पर प्रशासन द्वारा लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है। आदिवासियों के घर जलाने, उनकी फसलों को नष्ट करने और कई सालों से उनका सामाजिक बहिष्कार जारी रहने के मूल सवाल को ही जांच के दायरे से गायब किया जा रहा है।

पार्टी की तरफ से जारी बयान में माकपा के धमतरी जिला सचिव समीर कुरैशी ने बताया कि जांच पूरी होने के पूर्व ही बड़े सुनियोजित तरीके से मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है कि कोई आगजनी हुई ही नहीं है और वन प्रबंधन समिति ने केवल अवैध कब्जों को हटाया है, जबकि जलती आदिवासी झोपड़ियों की तस्वीरें सार्वजनिक हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हमलावरों पर कार्रवाई करने के बजाए प्रशासन उनको बचाने का प्रयास कर रहा है।

माकपा नेता ने कहा कि पीड़ितों से पंचनामा के नाम पर एक ऐसे कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रशासन द्वारा दबाव डाला जा रहा है, जिसमें लिखा हुआ है कि पीड़ितों के दावे के विपरीत उन्होंने वर्ष 2015 में वन भूमि पर कब्जा किया है। माकपा ने मीडिया के लिए इस कथित पंचनामा की छाया प्रति भी जारी की, जिस पर पीड़ितों ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार स्वयं एसडीएम सुनील शर्मा पीड़ितों पर दबाव बना रहे हैं कि वे वन भूमि छोड़कर कहीं और चले जाएं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर काबिज किसी भी व्यक्ति को बेदखल करने के आदेश पर स्टे दे रखा है। कुरैशी ने कहा है कि एसडीएम का रवैया सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के दायरे में आता है। माकपा नेता ने कहा है कि यदि प्रशासन द्वारा आगजनी की घटना का फ़र्ज़ीकरण किया जाता है, तो माकपा आदिवासियों के लिए न्याय की लड़ाई को और तेज करेगी।

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