बुजुर्ग मॉब हमला: सांप्रदायिकता में आकंठ डूबी सरकार उसी के नाम पर कर रही है कार्रवाई

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गांव में एक कहावत है– ‘जबरा मारै और रोवैव न देय’। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों का यही रवैया है। गाजियाबाद के लोनी में बुलंदशहर के अब्दुल समद के साथ हुयी मॉब लिंचिंग और हत्या के प्रयास वाले इस केस में भी यही दिखता है। पूरे देश में सांप्रदायिक जहर घोलने वाली मोदी सरकार आज सांप्रदायकिता फैलाने का आरोप लगाकर तमाम एक्टिविस्ट, न्यूज़ पोर्टल और विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई कर रही है।  

वीडियो शेयर करने के लिये तमाम एक्टिविस्ट व सामाजिक कार्यकर्ताओं व न्यूज पोर्टल के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश और दिल्ली में शिक़ायत और एफआईआर्ज दर्ज़ कराया जा रहा है। गाजियाबाद में बुजुर्ग के साथ हुई मारपीट से जुड़े एक वायरल वीडियो को लेकर राजधानी दिल्ली में बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर, ट्विटर इंडिया के मनीष माहेश्वरी समेत अन्य लोगों के खिलाफ शिक़ायत दर्ज़ करायी गयी है।  शिकायत दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में कराई गई है, आरोप है कि गाजियाबाद में हुई बुजुर्ग के साथ पिटाई के मामले में इन सभी ने भड़काऊ ट्वीट किया। कथित एडवोकेट अमित आचार्य द्वारा ये शिकायत दर्ज कराई गई है। हालांकि इस मामले में अभी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन दिल्ली पुलिस जांच कर रही है।

वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्थानीय सपा नेता उम्मेद पहलवान उर्फ इदरीस के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ किया है। गौरतलब है कि इदरीस ने ही बुजुर्ग को थाने में केस दर्ज़ करवाने में मदद की थी। पीड़ित अब्दुल समद के बेटे ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि इदरीस ने उनके पिता की केस दर्ज करवाने में मदद की थी। बता दें कि बुजुर्ग की पिटाई के बाद इदरीस ने फेसबुक पर लाइव भी किया था। पुलिस अब सपा नेता की तलाश कर रही है।

इससे पहले बुधवार को यूपी पुलिस ने ट्विटर समेत 9 के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ किया है। पुलिस ने वायरल वीडियो के मामले में पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेता सलमान निजामी, शमा मोहम्मद और मसकूर उस्मानी, लेखक सबा नकवी, द वायर और ट्विटर के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ किया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काना), 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 505 (शरारत), 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) जैसी धाराओं में केस दर्ज़ किया है।

एफ़आईआर में शिकायतकर्ता पुलिस अधिकारी की तरफ़ से कहा गया है- “उक्त लोगों ने घटना की सत्यता को जाँचे बिना घटना को सांप्रदायिक रंग दे दिया और लोक शांति को अस्त-व्यस्त करने और धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के उद्देश्य से वीडियो प्रचारित प्रसारित किया गया।”

वहीं जाँच अधिकारी अखिलेश कुमार मिश्र ने बताया है कि अभी मामले की जाँच जारी है। और एफ़आईआर भी दर्ज की जा सकती है। वीडियो एडिट करने वाले व्यक्ति और वीडियो वायरल करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया जाएगा। झूठा बयान देने पर भी मुक़दमा दर्ज़ किया जा सकता है।

ट्विटर के खिलाफ बदले की कार्रवाई के मूड में सरकार

वहीं अब्दुल समद वायरल वीडियो के बहाने केंद्र सरकार ट्विटर को सबक सिखाने के मूड में है। ट्विटर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर में यूपी पुलिस ने कहा है कि ट्विटर से संबंधित वीडियो हटाने को कहा गया था, लेकिन इस दिशा में कंपनी ने कोई क़दम नहीं उठाया।

वहीं केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मामले में ट्विटर के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर पर कहा है, “भारत की संस्कृति उसके विशाल भूगोल की तरह भिन्न है। कई मामलों में सोशल मीडिया पर प्रसार की वजह से छोटी सी चिंगारी से आग लग सकती है, ख़ासकर फ़ेक न्यूज़ के ख़तरे के कारण। इंटरमीडियरी गाइडलाइंस लाने की एक वजह ये भी थी है”।

अपने मीडिया बयान में उत्तर प्रदेश की घटना का ज़िक्र करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा है, यूपी में जो हुआ है वह फ़र्ज़ी ख़बरों से लड़ने में ट्विटर की मनमानी का उदाहरण है। ट्विटर अपने फ़ैक्ट चेक तंत्र के बारे में अति उत्साही रहा है, लेकिन यह यूपी जैसे कई मामलों में कार्रवाई करने में विफल रहा है और ग़लत सूचना से लड़ने में इसकी असंगति को दर्शाता है।

बता दें कि ट्विटर एक सोशल मीडिया कंपनी है, जिसे आईटी एक्ट के तहत भारत में क़ानूनी कार्रवाई से सुरक्षा प्राप्त थी। आईटी एक्ट के तहत मिली सुरक्षा हटने के बाद ट्विटर का इंटरमीडियरी प्लेटफ़ॉर्म होने का दर्जा समाप्त हो गया है और फिर अब ट्विटर पर प्रकाशित हर सामग्री के लिए उसकी आपराधिक ज़िम्मेदारी तय की जा सकती है।

इस बाबत भारत सरकार के सूचना प्राद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है कि ट्विटर को अपना पक्ष रखने के पर्याप्त मौक़े दिए गए थे, लेकिन ट्विटर ने अभी तक सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। ये दिशानिर्देश 26 मई को प्रभावी हो गए थे।

हालाँकि ट्विटर प्रवक्ता ने कहा है कि अभी इस संबंध में हमें भारत सरकार की तरफ़ से कोई नोटिस नहीं मिला है। ट्विटर भारत में कंप्लायेंस अधिकारी नियुक्त कर चुका है।

अब्दुल समद का बयान और वायरल वीडियो

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में 72 वर्षीय अब्दुल समद के लगाये अधिकांश आरोप सही साबित होते दिखते हैं। वीडियो में दिख रहा है कि उन पर दो बार फायर किया गया है। वीडियो में उनकी दाढ़ी काटी जाते और लाठी से बेरहमी पूर्वक उनकी पिटाई का दृष्य भी है। चूंकि वीडियो में आवाज़ नहीं है तो दो आरोपों की पुष्टि नहीं हो पा रही है। पहली ये कि उनसे जय श्री राम के नारे लगवाये गये और दूसरा ये कि उक्त आरोपियों ने अब्दुल समद से कहा कि हमने कई मुसलमानों को मारकर फेंक दिया है आज तेरी बारी है।  

वहीं तमाम मीडिया बयानों में पीड़ित बुजुर्ग अब्दुल समद ने दोहराया है कि वो उनमें से किसी को नहीं जानते, न ही वो ताबीज बनाने का काम करते हैं। ग़ाज़ियाबाद लोनी में दाढ़ी काटने और जय श्री राम के नारे लगवाने के अपने आरोप पर बुजुर्ग अब्दुल समद अब भी कायम हैं। साथ ही उनका ये भी कहना है कि वो ताबीज बनाने का काम नहीं करते और न ही वो उन लड़कों को जानते हैं।

पुलिस की ताबीज थियरी

मामले में पुलिस सांप्रदायिक पहलू से इंकार कर रही है। पुलिस का कहना है कि अब्दुल समद की पिटाई करने वाले उसके द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर नाखुश थे।

गाजियाबाद के लोनी इलाके में बुजुर्ग मुस्लिम अब्दुल समद से मारपीट के मामले में पुलिस ने अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि हमले में शामिल जिन पांच लोगों की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि अन्य की तलाश जारी है। अब्दुल समद पर हमले में शामिल इंतज़ार और सद्दाम उर्फ बौना दोनों को कल गिरफ्तार कर लिया गया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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