नई दिल्ली। उत्तराखंड में एक मसले को लेकर बीजेपी के अंदरूनी सर्किल में खलबली मच गयी है। यह मामला सूचना विभाग की पत्रिका के संपादक पद पर प्रमोद रावत की नियुक्ति का है। दरअसल प्रमोद को कांग्रेस की पृष्ठभूमि का बताया जा रहा है। और अब उनको सूबे की मौजूदा त्रिवेंद्र रावत सरकार ने एक ऐसे पद पर कर दिया है जो सीधे सरकार से जुड़ा हुआ है।
सूचना विभाग की पत्रिका अपने तरीके से सरकार का मुखपत्र होता है। ऐसे में इस पद की संवेदनशीलता को आसानी से समझा जा सकता है। मामला अगर केवल कांग्रेस या फिर स्थानीय स्तर तक सीमित होता तो भी कोई बात नहीं थी। प्रमोद सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहे हैं और उसमें भी बीजेपी के शीर्ष नेताओं खासकर पीएम मोदी के खिलाफ बेहद मुखर रहे हैं और यही सब पुराने किए गए ट्वीट और पोस्टें अब उनकी जान की आफत बन गयी हैं।
बताया जा रहा है कि जब से उनकी नियुक्ति हुई है लोग उनके पुराने ट्वीट और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीन शॉट लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं।
उनके एक ट्वीट का स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर घूम रहा है जिसमें वह पीएम मोदी को सीधा निशाना बनाते हुए कहते हैं कि “इनको फेंकते-फेंकते और हमको देखते-देखते आज पूरे तीन साल हो गए…..”

इसी तरह से 1 अगस्त, 2017 को उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय के एक ट्वीट को रिट्वीट किया था। जिसमें दिग्विजय ने उज्जवला योजना और महंगाई को लेकर सरकार की खिंचाई की थी।

इसी तरह का एक और ट्वीट है जिसमें प्रमोद रावत ने कांग्रेस की महिला नेता रागिनी नायक के ट्वीट को रिट्वीट किया है। इस ट्वीट में भी परोक्ष तरीके से पीएम मोदी पर हमला किया गया है।

इसके अलावा प्रमोद रावत की फेसबुक वाल पर कई ऐसी पोस्ट मिल जाएंगी जो उनकी कांग्रेस से नजदीकियों की गवाह हैं। उन्होंने अपनी वाल पर एक पोस्ट ऐसी शेयर की है जिसमें सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री रावत एक शख्स की स्कूटी पर पीछे बैठ कर कहीं जा रहे हैं। इसी तरह से 2015 की हरक सिंह रावत जो उस समय कांग्रेस के सूबे में मंत्री हुआ करते थे, की तस्वीर शेयर की है। एक 12 फरवरी, 2014 की पोस्ट है जिसमें पीएम मोदी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की ऊपर-नीचे तस्वीर है। और इसमें भी मोदी पर आडवाणी के जरिये हमला किया गया है।
इसी तरह से देहरादून में घोड़े की मौत वाले प्रसंग में भी उन्होंने बीजेपी के खिलाफ पोस्ट डाली थी।
दरअसल यह कोई पहला मसला नहीं है जिसमें त्रिवेंद्र रावत सरकार घिरी हो। और इस प्रकरण को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे त्रिवेंद्र रावत एक के बाद एक सबको नाराज करने पर तुल गए हैं। कभी वह चार धाम के तीर्थों पर देव स्थानम एक्ट अर्थात श्राइन बोर्ड का गठन करके ऐसा करते हैं जिसके चलते उत्तराखंड के पंडे और पुरोहित उनके खिलाफ मोर्चा खोल लेते हैं। यह मामला इतना आगे बढ़ जाता है कि पार्टी के वरिष्ठ सांसद सुब्रमण्यम स्वामी उत्तराखंड की भाजपा सरकार के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में रिट तक दाखिल कर देते हैं।