बिहार में सत्ता परिवर्तन की जरूरत: तुषार गांधी

पटना। बिहार की सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर चल रही है। बिहार में सत्ता परिवर्तन समय की मांग है। उपर्युक्त बातें गांधी जी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने बिहार के सामाजिक राजनीतिक संगठनों के द्वारा आयोजित “बिहार की सामाजिक राजनीतिक परिस्थिति: वर्तमान समय और हमारा हस्तक्षेप” विषयक सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कही। तुषार गांधी ने कहा कि आज भारत की विविधता पर हमला हो रहा है। नागरिकों के अधिकार कुचले जा रहे हैं। दलित, अल्पसंख्यक, महिलाओं, गरीबों पर अत्याचार बढ़े हैं। ऐसे में जरूरत है कि नागरिक समाज इस सत्ता पोषित सरकारी दमन के खिलाफ आवाज बुलंद करें। उन्होंने वर्तमान राजसत्ता के खिलाफ आने वाले दिनों में बिहार में पदयात्रा एवं संवाद के कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही।

किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीलम ने कहा कि 5 जून, 1974 को जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था जिसके परिणामस्वरूप बिहार और केंद्र की सरकार बदल गई थी। आज फिर देश परिवर्तन के लिए बिहार की तरफ देख रहा है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा सी 2+50% के समर्थन मूल्य पर खरीद की कानूनी गारंटी, कर्जा मुक्ति, भूमि अधिग्रहण पर रोक, मंडी व्यवस्था की बहाली जैसे मुद्दों को लेकर बिहार के किसानों से किसान विरोधी भाजापा-एनडीए की किसान विरोधी सरकार  का पर्दाफाश करने, विरोध करने और दंडित करने का अभियान बिहार में चलाएगा।

बिहार के किसान संगठनों द्वारा किसान महापंचायतें आयोजित की जाएंगी।

डॉ. सुनीलम ने जन आंदोलनों के साथियों से खुलकर महागठबंधन का खुला समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि जनादेश की चोरी को रोकने के लिए बिहार के मतदाताओं को तैयार करने की जरूरत है।

दिल्ली से आए समाजवादी नेता विजय प्रताप ने कहा कि बिहार गांधी, जयप्रकाश की कर्म स्थली रही है। यहां के लोगों ने समय-समय पर सामाजिक राजनीतिक हस्तक्षेप से देश के लोगों को राह दिखाई है। आज जरूरत है कि हम अपने समूहों से इतर अन्य समूहों के साथ संवाद स्थापित कर परिवर्तन के लिए जमीन तैयार करें।

डॉ ऋतु प्रिया ने कहा कि आज के विकास मॉडल में महिलाओं को ध्यान में नहीं रखा गया है। हमें शिक्षिका, रसोइया, सेविका, सहायिका, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पुलिस में शामिल महिलाओं की समस्याओं को ध्यान में रखकर आगामी नीति बनानी चाहिए। हम अपनी आवाज खोते जा रहे हैं। पर्यावरणीय सहित विकास के मुद्दों को ध्यान में रखकर नया नैरेटिव गढ़ना होगा।

यूसुफ मेहर अली सेंटर से जुड़ी लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता गुड्डी ने कहा कि बिहार की राजनीति में महिलाओं एवं युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि हमें जनपक्षीय एवं बुनियादी मुद्दों को चुनावी एजेंडे में शामिल करना होगा। सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश ने कहा कि भारत जैसा विशाल लोकतांत्रिक देश सुरक्षा परिषद में शामिल नहीं हो सका, यह मोदी राज की विदेश नीति की रणनीतिक हार है।

कार्यक्रम का संचालन समाजवादी नेता शाहिद कमाल एवं धन्यवाद ज्ञापन युवा नेता ऋषि आनंद ने किया। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता उदय, रविन्द्र कुमार, अफजल हुसैन, कपालेश्वर राम, सिस्टर डोरोथी, शकील अहमद, अनिल कुमार राय, फादर प्रकाश लुईस, डॉ योगेंद्र, महेंद्र यादव, मंथन, प्रदीप पीटर, अरविंद अंजुम, प्रोफेसर आलोक, महिला नेत्री मुकुंद, उत्तर प्रदेश से आए साथी राम धीरज, मध्य प्रदेश के रीवा से आए अजय खरे, झारखंड से आए घनश्याम, आदि ने भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर देश के कई राज्यों से आए सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

आयोजक संगठन: जनतंत्र समाज (सीएफडी), जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), राष्ट्र सेवा दल, एकता परिषद, दलित अधिकार मंच, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, लोक संघर्ष समिति, कोशी नवनिर्माण मंच, आश्रय अभियान, गंगा मुक्ति आंदोलन, जनजागरण शक्ति संगठन, बिहार सर्वोदय मंडल, गांधी स्मारक निधि, लोक परिषद, भोजन का अधिकार अभियान, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, मुसहर विकास मंच, जन स्वास्थ्य अभियान, बिहार शिक्षा बचाओ अभियान, स्वराज अभियान, एलायंस दलित फोरम, यूसुफ मेहर अली सेंटर, भारत जोड़ो अभियान

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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