ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का दूसरे दिन भी रहा व्यापक असर, जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन

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नई दिल्ली। ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों द्वारा आहूत देशव्यापी हड़ताल का असर देश के सभी राज्यों में देखा गया। दिल्ली के विभिन्न औद्योगिक इलाके और सरकारी/सार्वजनिक संस्थान, बीमा, बैंक इत्यादि इस हड़ताल के दौरान प्रभावित रहे। 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से देशभर में मज़दूर वर्ग पर बढ़ते हमलों के विरुद्ध कई हड़तालें हो चुकी हैं।

छटनी से परेशान कोविड योद्धा भी पहुंचे ट्रेड यूनियनों के कार्यक्रम में

केंद्र सरकार के अधीन आने वाले लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने आज बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शिरकत की। इन कर्मचारियों ने आप बीती सुनाते हुए कहा कि पूरे कोविड के दौरान वेंटिलेटर, बाइपैप, ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर जैसी मशीनों को सुचारू रूप से चलाकर देश की आम जनता की जान बचाने और मरीजों की सेवा करने के बदले उन्हें काम से निकाला जा रहा है। कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे इन कर्मचारियों में से अधिकतर कोविड के दौरान काम करने के चलते खुद भी संक्रमण का शिकार हो चुके हैं।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार हम पर फूल बरसाकर हमें बेवकूफ नहीं बना सकती। हमें अपने रोज़गार की गारंटी और पूरा वेतन चाहिए।

श्रम कोड व निजीकरण-ठेकेदारी के चलते देश के मज़दूर हैं बहुत परेशान

जिस तरह से देश के किसान, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ‘काले कानूनों’ से परेशान थे उसी प्रकार मज़दूरों के बीच, पूर्व के श्रम कानूनों की जगह लाए गये चार श्रम-कोड कानूनों को लेकर काफी रोष है। एक तरफ तो ये कानून मालिकों की मनमानी और मुनाफे को बढ़ाएंगे, तो दूसरी तरफ  मज़दूरों को गुलामी की ओर धकेल देंगे।

इन कानूनों के पूर्ण रूप से लागू होने के पश्चात, मज़दूरों का ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार लगभग खत्म हो जाएगा। साथ ही न्यूनतम वेतन, बोनस, ओवरटाइम, मातृत्व लाभ, समान काम का समान वेतन, कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का पक्का होना जैसे अनेक प्रावधान/नियम भी खत्म हो जाएंगे। 

साम्प्रदायिक तनाव, महंगाई, बेरोजगारी और असमानता के बढ़ने के चलते, मज़दूर वर्ग है परेशान : राजीव डिमरी

दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुई सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव डिमरी ने कहा,”आज जब देश भयंकर गरीबी, महंगाई, बेरोज़गारी की मार झेल रहा है और देश में असमानता बढ़ती जा रही है, तब मोदी सरकार श्रम कोड लागू करवाकर और रेलवे, बैंक, बीमा, डिफेंस इत्यादि क्षेत्रों को निजी हाथों में सौंपकर देशवासियों को बदहाली की ओर धकेल रही है।

बंगलुरु में मजदूरों का जुलूस

हर जगह केंद्र सरकार के पूर्ण संरक्षण और इशारे पर साम्प्रदायिक तनाव फैलाकर, जनता को मुद्दों से भटकाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। हमें मज़दूर वर्ग की व्यापक एकता के बल पर ऐसी कोशिशों को नाकाम करना चाहिए। अगर किसान आंदोलन के दम पर सरकार को झुका सकते हैं, तो हमें भी अपनी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए।”

गौरतलब है कि आज की हड़ताल का समर्थन किसान संगठनों समेत कई छात्र-युवा संगठनों ने भी किया था।

सफल हड़ताल के लिए आइपीएफ ने दी मजदूरों को बधाई

ग्लोबल पूंजी और देशी कारपोरेट घरानों के पक्ष में बन रही नीतियों के खिलाफ देशभर के मजदूरों द्वारा की गई दो दिवसीय सफल राष्ट्रीय हड़ताल पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने बधाई दी है। इस हड़ताल में बैंक, बीमा, पोस्टल, बीएसएनएल, कोयला, बिजली समेत विभिन्न सेक्टरों के मजदूरों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी की और स्कीम वर्कर समेत असंगठित क्षेत्र के मजदूरों ने हड़ताल में शिरकत की।

आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बनाने और निजीकरण व महंगाई के खिलाफ आयोजित केन्द्रीय श्रम संघों की आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, वर्कर्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच ने समर्थन देते हुए प्रदेश में विभिन्न जगहों पर आज भी प्रदर्शन किए। उन्होंने कहा कि आज कारपोरेट पक्षीय नीतियों के दुष्परिणाम सामने आ गए है।

महंगाई लगातार बढ़ रही है और रोजगार का संकट गहरा होता जा रहा है। खेती किसानी चैपट होती जा रही है। छोटे मझोले उद्योग तबाह हो रहे है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है। मजदूरों की दो दिवसीय सफल हड़ताल देश को मोदी सरकार द्वारा कारपोरेट पक्षीय रास्ते पर ले जाने की कोशिशों पर लगाम लगाने का काम करेगी।

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