जब मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम पर बात होती है तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि मनरेगा की अवधारणा क्यों और कब तैयार की गई।
तो बता दें कि नरेगा यानी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी...
आजमगढ़। हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, एक करोड़ रिक्त पड़े पदों को भरने, एमएसपी की कानूनी गारंटी, महंगाई पर रोक लगाने, किसानों को सस्ते दर पर खाद बीज आदि मुहैया कराने व मुफ्त बिजली, लोकतंत्र की...
झारखंड। कहना ना होगा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून (मनरेगा) देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार देने वाली एकमात्र योजना है। जिसने 2008 के वैश्विक आर्थिक सुनामी और 2020 में विश्वव्यापी कोरोना संकट में...
देश के दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्याओं के आंकड़े, उनकी दर्दनाक हालात बयान करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हाल ही में 2021 के जारी किए आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ग में आत्महत्याओं का अनुपात अन्य वर्गों की तुलना...
प्रयागराज। एक भूमिहीन कृषि मज़दूर के दस वर्षीय बेटे (जिसके परिवार का राशन कार्ड भी नहीं बना) शुभम ने जब सुना कि गांव के मंदिर में सावन का भंडारा है तो वो बहुत खुश हुआ कि आज भर पेट...
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार देने वाला महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून (मनरेगा) देश की एकमात्र योजना है, जो 2008 के वैश्विक आर्थिक सुनामी और 2020 में विश्वव्यापी कोरोना संकट के दौरान लोगों के लिए जीवनरेखा...
सच्चाई है कि लुटियन के टीले पर जारी नाटक के समक्ष भारत के तमाम नाटक अप्रासंगिक होते जा रहे हैं। बावजूद इसके जनता का नाटक और सत्ता के नाटक का फर्क करते हुए हमने बरसों बाद पटना में नाटक...
भिलाई। छत्तीसगढ़ में भिलाई के लोग उस काले दिन को आज भी नहीं भूल पाएं है जब 17 निर्दोष मजदूरों की हत्या कर दी गयी थी। इस घटना ने ना केवल भिलाई को बल्कि देश को झकझोर कर रख...
डा. अंबेडकर दलित राजनीति के जनक माने जाते हैं। उन्होंने ही गोलमेज कांफ्रेंसों में दलितों को राजनीतिक अधिकार दिए जाने की मांग उठाई तथा गांधी जी के कड़े विरोध के बावजूद दलितों को हिंदुओं से अलग अल्पसंख्यक वर्ग का...
कम्युनिस्ट घोषणापत्र की शुरुआती पंक्तियों में मजदूर वर्ग के महान शिक्षकों कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने लिखा था कि, यूरोप को एक हौवा सता रहा है - कम्युनिज्म का हौवा। ये शब्द 1848 में लिखे गए थे। तब...
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