तीन विदेशी फंडों के खाते सीज, अडानी ग्रुप में किया है 43500 करोड़ का निवेश

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नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) ने अलबुला इनवेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और एपीएमएस इनवेस्टमेंट फंड के अकाउंट्स फ्रीज कर दिए हैं। इन विदेशी फंड के पास अडानी ग्रुप की 4 कंपनियों के 43,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शेयर हैं। इस बीच बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मनी लांड्रिग एक्ट के मामले में उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच होनी चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जांच कराने से पहले प्रधानमन्त्री मोदी को चाहिए कि अफसरों का बैकग्राउंड जांच लें।

दरअसल सेबी ने इस ग्रुप की कंपनियों में तीन ऐसे विदेशी निवेशकों को पकड़ा, जिन्हें फर्जी माना जा रहा है। ये तीन निवेशक हैं- अलबुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड। ये मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस के एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं। इनके पास वेबसाइट नहीं है। सेबी ने इन तीनों के निवेश को फ्रीज कर दिया है और जांच शुरू हो गई है। सेबी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में कीमतों में जुगाड़ पर भी जांच शुरू कर दी है, क्योंकि एक साल में इन कंपनियों ने काफी ज्यादा फायदा दिया है।

एनएसडीएल की वेबसाइट के मुताबिक इन अकाउंट्स को 31 मई को या उससे पहले फ्रीज किया गया था। इस खबर के बाद भारतीय शेयर बाजार में अडानी ग्रुप की कपंनियों में भारी गिरावट आयी। अडानी की 6 में से 5 कंपनियों में इस खबर के बाद लोअर सर्किट लग गया। इन तीनों की अडानी एंटरप्राइजेज में 6.82 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 8.03 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 5.92 फीसदी और अडानी ग्रीन में 3.58 फीसदी हिस्सेदारी है। इन पैसों का मालिक कौन है, यह भी पता नहीं है। इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इन पर कार्रवाई की गई है।

गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह ने कहा है कि उसके पास इस बारे में लिखित स्पष्टीकरण है कि इन तीन विदेशी कोषों के खातों को फ्रीज नहीं किया गया है और इस बारे में खबरें भ्रामक हैं। ये तीन विदेशी कोष समूह की कंपनियों में शीर्ष शेयरधारक हैं। इससे निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये डूब गए हैं। आज एक घंटे के भीतर ही निवेशकों को 55000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सुब्रमण्यम स्वामी ने तंज कसते हुए अडानी को ट्रपीज आर्टिस्ट करार दिया। उनका कहना था कि अडानी की जांच में ऐसे अफसरों को लगाया जाना जरूरी है जो निष्पक्ष हों और दबाव न मानते हों। बकौल स्वामी, अडानी बेहद शातिर है और अफसरों के मिलीभगत कर साक्ष्यों को नष्ट भी कर सकता है। स्वामी ने कहा है कि मनी लांड्रिग एक्ट के मामले में उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच होनी चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जांच कराने से पहले मोदी को चाहिए कि अफसरों का बैकग्राउंड जांच लें। उनका कहना था कि अडानी की जांच में ऐसे अफसरों को लगाया जाना जरूरी है जो निष्पक्ष हों और दबाव न मानते हों। बकौल स्वामी, अडानी बेहद शातिर है और अफसरों के मिलीभगत कर साक्ष्यों को नष्ट भी कर सकता है।

वैसे ये पहला मौका नहीं है जब राज्यसभा सांसद ने अडानी पर हमला बोला है। इससे पहले भी वो उन पर निशाना साधते रहे हैं। इसी साल जनवरी में उन्होंने गौतम अडानी पर निशाना साधते हुए कहा था कि अडानी ग्रुप पर बैंकों का 4.5 लाख करोड़ का एनपीए है। उन्होंने चुनौती देकर कहा कि अगर वो गलत हैं तो दुरुस्त करें। स्वामी का कहना था कि अडानी की संपत्ति 2016 के बाद से हर दो साल में दोगुनी हो रही है तो वो बैंकों का कर्ज क्यों नहीं चुकाते। फिर उन्होंने कटाक्ष कर कहा था कि जैसे उन्होंने छह एयरपोर्ट खरीदे हैं शायद वो सोच रहे होंगे कि जल्दी ही वो उन बैंकों को भी खरीद लेंगे जिनकी तरफ उनकी देनदारी बनती है।

अडानी ग्रुप की कंपनियों में 43,500 करोड़ रुपये का निवेश करने वाले तीन विदेशी फंडों पर नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड ने रोक लगा दी है। जैसे ही ये खबर फैली तो शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 15 फीसदी, अडानी पोर्ट्स एंड इकोनॉमिक जोन 14 फीसदी, अडानी पावर 5 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन 5 फीसदी, अडानी ग्रीन एनर्जी 5 फीसदी, अडानी टोटल गैस 5 फीसदी टूट गए। एक रिपोर्ट के अनुसार ओनरशिप के बारे में पूरी जानकारी न देने के चलते नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड ने यह कार्रवाई की। अकाउंट फ्रीज होने का अर्थ यह है कि ये फंड अब न तो अपने खाते के शेयर बेच सकते हैं और न ही नए शेयर खरीद सकते हैं।

गौरतलब है कि अलबुला इनवेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और एपीएमएस इनवेस्टमेंट फंड मॉरीशस के हैं और सभी का पता एक ही है। सेबी में इन्हें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक के रूप में रजिस्टर्ड किया है। तीनों का संयुक्त रूप से अडानी एंटरप्राइजेज में 6.82 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 8.03 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 5.92 फीसदी और अडानी ग्रीन में 3.58 फीसदी का निवेश है।अडानी समूह की कंपनियों में हिस्सेदारी रखने वाले कुछ एफपीआई खातों को नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) द्वारा ‘फ्रीज’ करने की खबरों के बाद समूह की कंपनियों के शेयर 25 प्रतिशत तक टूट गए।

वर्ष 2019 कैपिटल मार्केट्स रेग्युलेटर ने एफपीआई के लिए केवाईसी डॉक्यूमेंटेशन को पीएमएलए के मुताबिक कर दिया था। फंड्स को 2020 तक नए नियमों का पालन करने का समय दिया गया था। सेबी ने कहा था कि नए नियमों का पालन न करने वाले फंड्स का खाता फ्रीज कर दिया जाएगा। नियमों के अनुसार एफपीआई को कुछ अतिरिक्त जानकारी देनी थी।

सेबी ने साल 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए विदेशी निवेशकों के KYC को 2020 तक पूरा करने का आदेश दिया था। इनको नए नियमों के तहत पूरा करना था। इसमें फेल होने पर उनके डीमैट अकाउंट को फ्रीज किए जाने का नियम था। इसी आधार पर इन तीनों के अकाउंट को फ्रीज किया गया है। सेबी ने साल 2020 में ही इन कंपनियों के शेयरों की जांच शुरू कर दी थी। हालांकि अभी तक जांच पर कोई फैसला नहीं आया है। बावजूद इसके इन कंपनियों के शेयर लगातार बढ़ रहे हैं। इन कंपनियों में अडानी इंटरप्राइजेज, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पावर में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 74.29% से ज्यादा है।

 (वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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