पैंडोरा पेपर्स में राजस्थान के दो बड़े राजघरानों के महाराजाओं के भी नाम

Estimated read time 1 min read

पैंडोरा पेपर्स मामले में इंडियन एक्सप्रेस की खोजी रिपोर्ट के अनुसार उद्योगपति, भगोड़े कारोबारी, खिलाड़ी और बॉलीवुड की हस्तियों के बाद अब राजघरानों के नाम सामने आ रहे हैं। राजस्थान के दो बड़े शाही परिवारों, जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह और दूसरे उदयपुर के पूर्व महाराणा अरविन्द सिंह मेवाड़, के नाम पैंडोरा पेपर्स की जांच में सामने आये हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की नई रिपोर्ट के मुताबिक, अरविन्द सिंह मेवाड़ ने 2010 में ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड (बीवीआई) में एक ट्रस्ट की स्थापना की थी। नाम था फार ईस्टट्रस्ट। अरविन्द सिंह मेवाड़ ने सिंगापुर के एशियासिटी ट्रस्ट के साथ मिलकर इसे शुरू किया था। साथ ही बीवीआई की मैजी होल्डिंग्स लिमिटेड और चैनल आईलैंड की ग्रिफ्ट लिमिटेड के साथ मिलकर एक ऑफशोर कंपनी भी बनाई थी। अखबार ने बताया है कि अरविन्द सिंह की बेटी भार्गवी कुमारी मेवाड़ फार ईस्टट्रस्ट समेत बाकी ट्रस्टों की लाभार्थी हैं।

एशियासिटी के दस्तावेजों के हवाले से इंडियन एक्स्प्रेस ने बताया कि अरविन्द सिंह के परिवार ने लंदन में संपत्ति खरीदने के लिए फार ईस्टट्रस्ट और उससे जुड़े बाकी ऑफशोर स्ट्रक्चर्स की मदद ली है। हालांकि दस्तावेजों में ये भी कहा गया है कि लंदन में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए मेवाड़ परिवार के पास पैसा उनकी खानदानी प्रॉपर्टी और लग्जरी होटल के जरिए आया है।

अखबार के मुताबिक, 5 अगस्त 2015 को लंदन वाली प्रॉपर्टी बेच दी गई थी। उस समय इसकी कीमत करीब 19.94 करोड़ रुपए तय हुई थी। दस्तावेजों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रॉपर्टी को बेचने से दो महीने पहले 8 जून 2015 को अरविन्द सिंह ने ट्रस्ट की मीटिंग बुलाई थी। इस दौरान ये तय किया गया था कि इस प्रॉपर्टी को बेचने के बाद ट्रस्ट को बंद किया जा सकता है।

पैंडोरा पेपर्स में नाम आने के बाद अरविन्द सिंह मेवाड़ ने कहा कि मैं ये समझता हूं कि इस तरह की जांच उन लोगों की करनी चाहिए जो टैक्स चोरी करते हों या किसी नियम का उल्लंघन करते हों। हर आदमी को जांच का निशाना नहीं बनाना चाहिए। जिन लोगों का नाम सामने आया है उन्हें अपना पक्ष रखने का भी मौका मिलना चाहिए। इस तरह किसी पर इल्जाम लगाना सभ्य समाज को शोभा नहीं देता है।देश के एक टैक्स पेयर का नाम बिना मतलब उछालकर उसका सम्मान नहीं खराब करना चाहिए। किसी पर राज द्रोह का आरोप लगाए बिना एक सिस्टम के तहत जांच हो तो बेहतर होगा।

जोधपुर में बापजी के नाम से जाने जाने वाले पूर्व महाराजा गज सिंह राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। उनका भी एक बीवीआई ट्रस्ट है। नाम है ट्राइड्रेंट ट्रस्ट। अटलांटे पेरेंनिटी इंक नाम से इस ट्रस्ट की एक ऑफशोर कंपनी भी है। पैंडोरा पेपर्स की जांच से पता चलता है कि ट्राइड्रेंट ट्रस्ट के लाभार्थी यानी गज सिंह के स्थायी पते से जुड़ी कोई जानकारी ट्रस्ट के पास नहीं है। एक ईमेल के जरिए पता चला है कि ट्रस्ट ने गज सिंह का स्थायी पता इसलिए नहीं मांगा क्योंकि वो एक जाने-माने व्यक्ति हैं, गूगल पर उनके बारे में सारी जानकारी मौजूद है। ये भी कि वो एक महल में रहते हैं जिसके एक हिस्से को 5 स्टार होटल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है ।

इंडियन एक्सप्रेस ने गज सिंह से भी बात करने की कोशिश की। उनके प्रतिनिधि ने अखबार से कहा कि जिस कंपनी और ट्रस्ट की बात की जा रही है उसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

दरअसल पैंडोरा पेपर्स लीक दस्तावेजों का पुलिंदा है। लगभग 1 करोड़ 20 लाख लीक दस्तावेज हैं। 117 देशों के 600 से ज्यादा पत्रकारों ने इन पेपर्स की जांच की है। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) के तहत उन्होंने ऑफशोर कंपनी खोलने में मदद करने वाली 14 सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों से जुड़े सोर्स से ये दस्तावेज जुटाए हैं। इन्हीं से पता चला है कि कैसे दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग टैक्स बचाने के लिए अपनी संपत्ति छिपा रहे हैं । इस सूची में 380 भारतीयों के नाम भी हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने इस सूची में से 60 प्रमुख कंपनियों और लोगों के नाम की पुष्टि की है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author