लाइब्रेरी खोलने के लिए धरनारत इविवि छात्रों को चीफ प्रॉक्टर ने जबरन हटाया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में केंद्रीय पुस्तकालय खुलवाने की मांग को लेकर तीन दिन से छात्र पुस्तकालय गेट के पास धरना दे रहे थे। विश्वविद्यालय के हालिया नोटिफिकेशन के मुताबित 15 मार्च से शुरू होने वाली परीक्षा अब 03 अप्रैल से शुरू होगी। इससे छात्रों पर परीक्षा का दबाव है, जिस कारण छात्र लाइब्रेरी खुलवाने के मांग को लेकर धरने पर बैठे थे। छात्रों के बढ़ते आंदोलन को देखते हुए 19 मार्च को दोपहर 02 बजे इविवि कुलपति के नेतृत्व में चीफ प्रॉक्टर और लाइब्रेरियन के साथ अहम बैठक थी, लेकिन बैठक से पहले ही चीफ प्रॉक्टर ने बल प्रयोग करते हुए लाइब्रेरी खुलवाने की मांग पर धरना दे रहे छात्रों के साथ धक्का-मुक्की करते हुए जबरन वहां से हटा दिया गया।

एक साल होने को आए हैं, इविवि का केंद्रीय पुस्तकालय करोना महामारी में लॉकडाउन के बाद से ही बंद पड़ा है, सभी कक्षाएं ऑनलाइन चल रही है लेकिन किताबें उपलब्ध न होने कारण छात्रों की पढ़ाई अधूरी है, कुछ कोर्सेस जैसे जनसंचार, मनोवैज्ञानिक आदि के लिए लाइब्रेरी का होना अनिवार्य है। इन्ही मूलभूत जरूरी अभाव के कारण छात्रों में रोष है कि वो सभी बिना लाइब्रेरी के परीक्षा कैसे पास करेंगे? पुस्तकें उपलब्ध न होने के कारण छात्रों में चिंता हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन लाइब्रेरी खोलने को तैयार नहीं है।

आइसा (all India students association) के सचिव सोनू यादव ने छात्रों के साथ बदसलूकी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि छात्र अपने मूलभूत मांग लाइब्रेरी को लेकर आंदोलनरत थे लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन का इस तरह का रवैया शर्मनाक है। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी शक्ति रजवार के साथ सुरक्षागार्ड के द्वारा कॉलर पकड़ते हुए खिंचा जाना और जमीन पर गिरा दिया जाना तथा अन्य छात्रों के साथ भी इसी तरह का व्यवहार अपनाया जाना विश्वविद्यालय प्रशासन के तानाशाही रवैये को प्रदर्शित करता हैं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अपने छात्रों के प्रति इस तरह का व्यवहार बहुत ही निंदनीय है, इससे यहीं पता चलता है कि विश्वविद्यालय कैंपस में लोकतांत्रिक मूल्य लगातार नष्ट होते जा रहे हैं, छात्रो के साथ बल पूर्वक कार्यवाही करना पठन-पाठन के स्तर को नीचे गिरा रहा है, जो बहुत ही गंम्भीर विषय है। जिसमें विश्वविद्यालय को प्रशासन को सुधार कर छात्रों के साथ सामंजस्य बनाने की आवश्यकता हैं।

-छात्र पुनीत सेन के द्वारा भेजे प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर  

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