उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में एक स्थानीय पत्रकार दिलीप शुक्ला ने खुदकुशी कर ली। आरोप लग रहे हैं कि सरकारी खरीद केंद्र पर उनका धान खरीदने के बजाए स्थानीय विधायक के दबंग साथियों ने उन्हें धमका कर भगा दिया था। धमकी और अपमान के बाद से ही पत्रकार दिलीप शुक्ला तनाव में थे। वहां से आने के बाद उन्होंने स्थानीय सांसद और विधायक को लेकर फेसबुक पर कई पोस्ट लिखी। आरोप है कि उसके बाद से उन्हें लगातार धमकी मिल रही थी। इन पोस्टों में वह बार-बार जान देने की बात भी कह रहे थे। इसके बावजूद प्रशासन तमाशबीन बना रहा। आज मंगलवार को उन्होंने फेसबुक पर अपनी सेल्फी लगाई और उस पर डेथ लिख कर पोस्ट कर दिया। कुछ देर बाद ही उन्होंने जान दे दी।
38 साल के दिलीप शुक्ला मोहम्मदी कोतवाली क्षेत्र के शंकरपुर चौराहे पर रहते थे। इस इलाके के लोगों का मुख्य कार्य कृषि है। स्थानीय पत्रकार दिलीप शुक्ला के पास 22 क्विंटल धान था। बताया जा रहा है कि इसे बेचने के लिए वह सरकारी धान खरीद केंद्र पर गए थे। सपा नेता क्रांति कुमार सिंह बताते हैं कि धान खरीद केंद्र पर स्थानीय विधायक के गुर्गों का कब्जा है। वहां उनके धान में नमी बताई गई। इसी बात पर दिलीप शुक्ला से झड़प हो गई। विधायक के गुर्गों ने उन्हें धमकी देते हुए भगा दिया।

दिलीप शुक्ला वहां से लौट तो आए, लेकिन उसके बाद से ही वह लगातार डिप्रेशन में थे। उन्होंने लगातार स्थानीय विधायक और सासंद को लेकर फेसबुक पर कई पोस्ट लिखीं। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा है, “सांसद-विधायक मेरी लाश पर वोट मांगने मत जाना अंतिम निवेदन।” इसी तरह की उन्होंने कई और पोस्ट लिखी हैं। आरोप लग रहे हैं कि इसके बाद उन्हें लगातार धमकी मिल रही थीं। इससे घबराकर घर वालों ने उन्हें जिले से बाहर भेज दिया था। वहां से भी उन्होंने कुछ पोस्ट फेसबुक पर लिखी हैं। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा है, “मैं भागता भागता थक चुका हूं। अगर किसी भी प्रकार से मेरी मौत होती है तो समझ लेना विधायक और छविराम सिपाही ने मारा है।” बताया तो यहां तक जा रहा है कि फेसबुक पोस्ट लिखने की वजह से कुछ पुलिस वाले भी उन्हें ‘बताने’ की धमकी दे रहे थे।
दिलीप के भाई रवि शुक्ला ने बताया कि उनके भाई काफी दिनों से डिप्रेशन में जी रहे थे। उनके पास 22 क्विंटल धान था। धान बेचने के लिए वह खरीद केंद्र पर गए थे। वहां कुछ विवाद हो गया था, तब से वह परेशान थे। उन्होंने बताया कि दिलीप फेसबुक पर अचानक सक्रिय हो गए थे। इसके बाद से ही वह क्षेत्रीय विधायक के खिलाफ लिखने लगे थे।

पहली नजर में देखने पर यह पूरा ही मामला उत्पीड़न का है। इसमें सत्ता के साथ ही पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। सबसे अहम बात यह है कि एक पीड़ित पत्रकार लगातार जान देने की बात कर रहा था और पुलिस-प्रशासन तमाशबीन बना हुआ था। यहां तक कि मरने से पहले उन्होंने यह भी लिखा था कि वह शराब और जहर ले आए हैं। बाद में उन्होंने फेसबुक पर अपनी सेल्फी लगाई और उस पर लिखा ‘डेथ’। इसके कुछ देर बाद उन्होंने जहर खा लिया। इसमें उनकी जान चली गई। मोहम्मदी की एसडीएम स्वाति शुक्ला का कहना है कि दिलीप का धान किसान के रूप में पंजीकरण नहीं था और न ही वह धान बेचने आए थे।
सपा नेता क्रांति कुमार सिंह का कहना है कि भाजपा के नेता और सरकार लोगों का दमन कर रही हैं और उसके बाद पूरे घटनाक्रम को कैसे पी जाना है, कैसे सबूत नष्ट करना है, इस मामले में इन लोगों ने महारत हासिल कर ली है। मोहम्मदी विधायक विवादित प्रकरण समेत तमाम घटनाओं में शामिल रहे हैं। चाहे मोहम्मदी कोतवाली पर हमला हो, बालू खनन, धान खरीद घोटाला हो। उन्होंने मांग की कि इन सारे प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहए। इनके और इनके साथ जुड़े प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
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