मोदी सरकार ने भारत में तो सोशल मीडिया के कान तो उमेठे ही हैं विदेशों में सक्रिय मानवाधिकार संगठनों के सोशल मीडिया हैंडल भी उसके निशाने पर हैं। इसका ताज़ा उदाहरण है इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) और हिंदूज़ फ़ॉर ह्यूमन राइट्स (HFHR) के एक्स खातों (पूर्व ट्विटर) पर भारत में लगी रोक। एक्स ने ऐसा भारत सरकार की क़ानूनी मांग के आधार पर की है। अमेरिका में सक्रिय ये दोनों संगठन भारत सरकार की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों और मानवाधिकार हनन को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।
14 अक्टूबर को IAMC और HFHR को पता चला कि भारत सरकार की “कानूनी मांग” के जवाब में उनके एक्स खाते भारत में रोक दिए गये हैं। निलंबन के दो दिन बाद, एक्स ने इन संगठनों को सूचित किया कि “भारत सरकार से कानूनी निष्कासन की मांग मिलने के बाद खाता रोक दिया गया है… जिसमें दावा किया गया है कि इनकी सामग्री भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उल्लंघन करती है।” भारत सरकार के व्यापक और कठोर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उपयोग पहले ही कई ऑनलाइन मंचों को सेंसर करने के लिए किया जा चुका है।
एक्स की इस कार्रवाई को मानवाधिकार संगठनों ने लोकतंत्र का अपमान बताया है। आईएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने कहा, “आईएएमसी का एक्स अकाउंट भारतीय-अमेरिकी मुसलमानों के लिए हिंदू राष्ट्रवाद और भारत में उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समूहों की बिगड़ती मानवाधिकार स्थितियों को जानने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा, “एक्स कार्यकारी एलोन मस्क अमेरिका स्थित संगठन को अवरुद्ध करने के लिए मोदी के सत्तावादी शासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। एक्स भारत और अमेरिका में स्वतंत्र अभिव्यक्ति और लोकतंत्र का दमन तेज कर रहा है।”
IAMC और HFHR के खातों को निलंबित करना उसी सिलसिले की अगली कड़ी है जो भारत में लगातार जारी है। भारत में सरकार की आलोचना करने वाली आवाजों पर व्यापक कार्रवाई जारी है। हाल ही में न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ आतंकवाद से जुड़ी धाराओं पर कार्रवाई और मशहूर उपन्यासकार अरुंधति रॉय के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाज़त देना इसी का उदाहरण है।
IAMC ने एक्स से भारत में उसके खाते तक पहुंच तुरंत बहाल करने के की माँग की है। इस संदर्भ में उसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी सहायता माँगी है। IAMC अपने वकीलों के साथ निकट संपर्क में है ताकि खाते पर रोक को कानूनी चुनौती दी जा सके। उसने कहा है कि वह भारत में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों तथा अन्य वंचित समूहों के मानवाधिकार हनन का सवाल उठाता रहेगा।
(चेतन कुमार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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