मुंबई: आंबेडकर से जुड़े राजगृह में तोड़फोड़ से लोगों में रोष, सूबे के गृहमंत्री ने दिए जांच के आदेश

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दादर (मुंबई)/दिल्ली। महान चिंतक और सामाजिक भेदभाव विरोधी संघर्षों के प्रणेता डॉ. भीमराव आंबेडकर से जुड़े ‘राजगृह’ में तोड़फोड़ की वारदात से लोगों में भारी रोष है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने वारदात की जांच का आदेश दिया है और इस मामले में कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। ‘बाबा साहब’ के पौत्र और राजनीतिक दल ‘वंचित बहुजन अघाड़ी’ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने लोगों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है।

मुंबई के दादर इलाके में स्थित ‘राजगृह’ करीब दो दशकों तक डॉ. आंबेडकर का निवास रहा है। फ़िलहाल इस तीन मंजिला भवन के ऊपरी हिस्से में बाबा साहब के परिवार के सदस्य रहते हैं जबकि नीचे की दो मंज़िलों में बाबा साहब स्मारक है। 1931-33 में तैयार हुए इस भवन में आंबेडकर ने विशाल समृद्ध पुस्तकालय भी स्थापित किया था। उस समय ही करीब 50 हज़ार किताबों वाला यह निजी पुस्तकालय बेहद मशहूर था। विशाल पुस्तकालय और संग्रहालय से समृद्ध यह स्मारक आंबेडकर के अनुयायियों की आस्था के साथ आंबेडकर और बुद्धिज़्म के शोधार्थियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। ‘राजगृह’ प्राचीन बुद्धिस्ट राज्य के नाम से ही लिया गया है।लॉकडाउन के बाद से यह आम लोगों के लिए बंद है।

मंगलवार 7 जुलाई की देर शाम कुछ अज्ञात लोगों ने ‘राजगृह’ परिसर में घुसकर बरामदे और गार्डन में तोड़फोड़ की। यह ख़बर फैलते ही आंबेडकर के अनुयायियों में रोष फैल गया। महाराष्ट्र यूँ भी आंबेडकर का कार्यक्षेत्र रहा है और यहाँ दलित आंदोलन भी मजबूत रहा है। देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से इस बारे में सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने वारदात की गंभीरता को समझते हुए तुरंत सक्रियता दिखाई। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने जाँच का आदेश दे दिया और घटना की निंदा करते हए भरोसा दिलाया कि दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।

पुलिस ने अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ की है और सीसीटीवी फुटेज की जाँच कर रही है। बताया जाता है कि तोड़फोड़ करने वालों ने कुछ सीसीटीवी कैमरे तोड़ने की कोशिश भी की थी। पुलिस इस घटना के पीछे राजनीतिक वजहों की आशंका से इंकार कर रही है। पुलिस का मानना है कि तोड़फोड़ में शामिल रहे लोग नशेड़ी रहे होंगे।

इस घटना को लेकर सोशल मीडिया में काफी हलचल मची हुई है। उनमें कुछ प्रतिक्रियाएं नीचे दी जा रही है- 

संजय श्रमण जोठे :

डॉ. अम्बेडकर निवास पर हमला हुआ है। एक अर्थ में यह संदेश है कि चोर ने अंबेडकरवाद की संपत्ति को मान्यता दे दी है। चोर या हमलावर यह भी सिद्ध कर रहा है कि अम्बेडकरवाद की पूंजी ब्राह्मणवाद के लिए सबसे बड़ा खतरा है। 

इसीलिए वह इस सम्पत्ति को चुराने या जलाने आया है। यह हमला असल में वाटर टेस्टिंग है। वे देख रहे हैं कि कोरोनाकाल में अम्बेडकरवादी संकल्प की शक्ति कितनी बची है?

चोर ने इस सम्पत्ति को पहचान लिया, अम्बेडकरवादी आंदोलन और बहुजन स्वयं इस सम्पत्ति को कब पहचानेंगे? अपने संकल्प की घोषणा कैसे करेंगे?

 मेरा मत है कि असल कार्यवाही अम्बेडकरवादी चिंतकों को करनी है। यह घटना एक अवसर है अम्बेडकरवाद की वैचारिक शक्ति और नैरेटिव को उजागर करने का। इस अवसर का लाभ लिए बिना अधिकांश लोग निंदा भर कर रहे हैं। 

लेकिन कोई गूढ़ रणनीति नजर नही आ रही है। 

सुनील कुमार सुमन:

ये बीमार लोग हैं ! 

विचार को ख़त्म नहीं कर सकते तो जगह-जगह मूर्ति तोड़ देते हैं.. और अब ऐसी ही एक कायराना हरकत करते हुए मुंबई स्थित बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के घर “राजगृह” को तोड़ने-फोड़ने की कोशिश की गई। 7 जुलाई की शाम में कुछ शरारती तत्वों ने यह बदमाशी की। शोहदों ने वहाँ लगे सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ डाले। “राजगृह” को विशेष रूप से बाबा साहेब ने अपनी किताबों के लिए तैयार किया था। यहाँ अपनी निजी लाइब्रेरी में उन्होंने पचास हज़ार के क़रीब किताबें इकट्ठा की थीं। अब वहाँ एक संग्रहालय भी है।

(जनचौक डेस्क पर बनी खबर।)

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