दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में आईपीएस ऑफिसर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) के हस्तक्षेप आवेदन पर भी फैसला सुनाएगी।
सीपीआईएल ने आरोप लगाया है कि आलम की याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीपीआईएल की ओर से दायर याचिका की “कॉपी-पेस्ट” है। याचिका सदरे आलम नामक एक व्यक्ति ने दायर की है।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट बीएस बग्गा, सीपीआईएल के एडवोकेट प्रशांत भूषण, केंद्र की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता और राकेश अस्थाना की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी को सुना। इससे पहले सीपीआईएल ने मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। शीर्ष न्यायालय ने 25 अगस्त को याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था और हाईकोर्ट से दो सप्ताह के भीतर मामले पर निर्णय लेने का अनुरोध किया था।
जनहित याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में बड़ी बात कहा कि यह कुछ लोगों के लिए उद्योग और आजीविका बन गया है। केंद्र ने गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्ति को चुनौती देने वाली पीआईएल की सुनवाई के दौरान कहा कि इसमें किसी दखलंदाजी की जरूरत नहीं है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिका में कहा गया है कि दूसरे अच्छे अधिकारी भी हैं? कौन हैं वो? क्या ये वो ही लोग हैं, जो संभवत: इस नियुक्ति से नाराज हैं? पीएआईएल दायर करना एक उद्योग बन गया है, यह अपने आप में एक आजीविका है, जिसकी कल्पना भी नहीं थी। केंद्र की ओर से पक्ष रखते हुए मेहता ने कहा कि अस्थाना को राष्ट्रीय राजधानी की तय प्रक्रिया अपनाते हुए दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। पीआईएल को स्कोर बनाने का माध्यम बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अस्थाना की ओर से दलीलें देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता किसी व्यक्ति का छद्म प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) है, जो कि खुद सामने नहीं आना चाहता है और वह निजी बदला लेना चाहता है।
केंद्र व अस्थाना ने इस मामले में सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर दखल की अर्जी पर आपत्ति ली। सीपीआईएल इस मामले में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर चुका है। रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट को न तो याचिकाकर्ता और न ही हस्तक्षेपकर्ता की अर्जी सुनना चाहिए, क्योंकि उनका आचरण दूषित है। मेहता ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति के मामले में नहीं बल्कि आठ अन्य मामलों में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है। मेरी दलील को मंजूर करने का यही आधार काफी है कि इस केस में जनहित के अलावा कोई और बात है।
सीपीआईएल की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र की यह दलील की कि उसे यूनियन टेरेटरी कैडर का कोई पात्र अधिकारी नहीं मिला, जिसे दिल्ली पुलिस का आयुक्त नियुक्त किया जाए, आश्चर्यजनक व मनोबल गिराने वाली है। उन्होंने दावा किया कि यहां दायर याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर अर्जी की हूबहू है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बीएस बग्गा ने दूषित इरादे के आरोप का खंडन किया और कहा कि अस्थाना की नियुक्ति सेवा नियमों को झटका है। याचिकाकर्ता ने गृह मंत्रालय द्वारा 27 जुलाई को जारी अस्थाना की नियुक्ति का आदेश खारिज करने की मांग की है।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
+ There are no comments
Add yours