छत्तीसगढ़ में बड़गांव पहाड़ी को बचाने के लिए ग्रामीणों का 19 दिनों से धरना-प्रदर्शन जारी

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बस्तर। बस्तर जिले में लौह अस्यक भरपूर मात्रा में है, आदिवासी लगातार जल-जंगल-जमीन और पहाड़ों को बचाने, बिना ग्राम सभा की अनुमति के खदान न खोलने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, बड़गांव पहाड़ी खदान खोलने के विरोध में ग्रामीण का धरना प्रदर्शन 19 दिनों से जारी है। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल अंतर्गत नारायणपुर जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर ओरछा मार्ग स्थित ग्राम पंचायत बड़गांव के आश्रित ग्राम लसुनपदर में राजपुर धनोरा धुरबेड़ा कुमारी बेड़ा ब्रेहबेड़ा सहित दर्जनों गांवों के सैकड़ों ग्रामीण अपने पारंपरिक हथियार तीर धनुष, कुल्हाड़ी लेकर बड़गांव पहाड़ी को बचाने के लिए पिछले 19 दिनों से धरने पर बैठ गए हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें खबर मिली है कि बड़गांव पहाड़ी को शासन ने किसी निजी कंपनी को लीज पर दे दिया है और बहुत जल्द पहाड़ी से लौह अयस्क खनन का कार्य शुरू हो जाएगा। साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि लौह अयस्क खनन शुरू होने से हमारे गांव में पुलिस कैम्प भी स्थापित कर दिया जाएगा जिससे हम ग्रामीणों को परेशानी होगी। जल-जंगल-जमीन में हम आदिवासियों का अधिकार है जिसे सरकार हमारी अनुमति के बिना निजी कंपनी को दे रही है। पहाड़ी में हमारे पुरखों के देवी-देवताओं का वास है।

बता दें कि बड़गांव पहाड़ी में लौह अयस्क का भण्डार मौजूद हैं। पिछले कुछ महीनों से छोटेडोंगर क्षेत्र में बड़गांव पहाड़ी में लौह खनन शुरू होने की खबर काफी चर्चा में है। ग्रामीणों को खनन की भनक लग जाने के बाद सैकड़ों ग्रामीण कड़कती ठंड में राशन पानी लेकर लसुनपदर पहाड़ी के पास ही धरने पर बैठ गए हैं। ग्रामसभा की अनुमति के बगैर खदान खोलना बंद करो। पेसा कानून पांचवीं, छठवीं अनुसूची को अमल करो, कैम्प सड़क विस्तार करना बंद करो के नारों से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

पिछले 4 जनवरी से बड़गांव पहाड़ी को बचाने के लिए आंदोलन पर बैठे ग्रामीणों से मिलने के लिए छोटेडोंगर तहसीलदार पहुंचे। इस दौरान तहसीलदार ने आंदोलनकारियों से लगभग एक घंटे चर्चा की, चर्चा के बाद ग्रामीणों ने तहसीलदार को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा गया है।

कड़ाके की ठंड में रात बिता रहे ग्रामीण

आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर कड़ाके की ठंड में रात बिता रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती है तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। नारायणपुर जिले में वर्तमान में दो खदानों में कार्य प्रगति पर है। जिसमें एक रावघाट खदान जिसका जिम्मा बीएसपी कर रही है, तो दूसरा छोटेडोंगर में आमदाई खदान है जिसका जिम्मा निको जयसवाल की कंपनी कर रही है, इन दोनों खदानों का भी ग्रामीणों द्वारा काफी विरोध के बावजूद खनन कार्य जारी है।

(छत्तीसगढ़ से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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