(पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के नौ ठिकानों को निशाना बनाया है। भारत का कहना है ये ठिकाने न तो सैन्य हैं और न ही नागरिक बल्कि ये आतंकी हैं जहां उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। लेकिन इस कार्रवाई के साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच नियमित युद्ध का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में युद्ध की विभीषिका को समझने वाले और विवेकशील नागरिकों के लिए यह सबसे बड़ी चिंता का विषय है। खास कर दोनों देश अगर परमाणु संपन्न हों तो यह मसला और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है। ऐसे में अमनपसंद और शांति में विश्वास करने वाले किसी भी नागरिक का बुनियादी कर्तव्य हो जाता है कि वह युद्धोन्माद से बचे और उसके पक्ष में चलने वाली किसी भी तरह की गतिविधि वह सरकार की तरफ से हो या फिर नागरिक की तरफ से, को रोकने की कोशिश करे। इसी कड़ी में सीपीआई (एमएल) मौजूदा मसले पर अपना बयान जारी किया है। पेश है उसका पूरा बयान- संपादक)
भारत सरकार और सेना ने बताया है कि पिछली रात 7 मई की सुबह से पहले सीमापार पाकिस्तान में नौ आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों को नष्ट कर दिया गया है। भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि यह ऑपरेशन विश्वसनीय इंटेलिजेन्स जानकारी के आधार पर बिल्कुल सटीक, सधी हुई और सीमित दायरे में किया गया है। पाकिस्तान का कहना है कि इसमें बच्चों और महिलाओं समेत आम नागरिक भी मारे गये हैं। ऑपरेशन सिन्दूर के बाद जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से गोलीबारी होने और कई नागरिकों के मारे जाने की सूचनायें भी मिल रही हैं।
एक और भारत-पाक युद्ध के खतरनाक संकेत स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। पूरी कोशिश होनी चाहिए कि दो परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों के बीच युद्ध न होने पाये। आतंकवाद को खत्म करने और तनाव कम करने के लिए हर तरह के गैर-सैनिक कूटनीतिक विकल्पों की सम्भावनाओं की तलाश जारी रहनी चाहिए।
भारत सरकार ने दो सौ से अधिक जिलों में सिविलियन मॉक ड्रिल कराने की भी घोषणा की है। इतने बड़े पैमाने पर ऐसी कवायद इससे पहले 1971 में हुई थी जब भारत और पाकिस्तान एक बड़े युद्ध में आमने-सामने आये थे। मॉक ड्रिल सुरक्षा के प्रति आम नागरिकों की जागरूकता बढ़ाने के लिए कराई जाती है, हमें ध्यान रखना होगा कि इसके बहाने देश के अन्दर युद्धोन्माद का माहौल बना कर आंतरिक वातावरण बिगाड़ने के लिये न हो पाये।
स्पष्ट है कि जिन महिलाओं ने पहलगाम आतंकी हमले में अपने पतियों को खोया है, उन्हें न्याय दिलाने के लिए इस कार्यवाही का नाम ऑपरेशन सिन्दूर रखा गया है। पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए जरूरी है कि हम उनके विचारों का सम्मान करें और शांति व सौहार्द बनाये रखने के उनके आह्वानों और सुरक्षा में रह गयी कमियों जिनके कारण वह भयानक आतंकी हमला हुआ, के प्रति उनकी चिन्ताओं को भी साझा करें। हिमांशी नरवाल और शैला नेगी जैसी बहादुर महिलाओं के खिलाफ कई असरदार राजनीतिक लोगों समेत सभी नफरती ट्रोल अभियान चलाने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
पहलगाम आतंकी हमला और अब ऑपरेशन सिन्दूर के बाद इण्टरनेट पर झूठे दावों और फेक न्यूज की बाढ़ ही आ गई है। फेक न्यूज और दुष्प्रचार पर रोक लगनी चाहिए लेकिन इसके बहाने अभिव्यक्ति व विरोध करने की आजादी का दमन हरगिज नहीं होना चाहिए। भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर, लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और राजनीतिक व्यंगकार माद्री काकोटी, डिजिटल न्यूज चैनल 4पीएम नेटवर्क के खिलाफ लगाये फर्जी आरोप, और अब पत्रकार पुण्यप्रसून बाजपेयी के यूट्यूब चैनल का अचानक ‘गायब’ हो जाने का मतलब दरअसल विरोध के स्वरों पर चल रहे हमलों को राष्ट्रविरोधी कह कर और तेज किया जा रहा है।
हम भारत सरकार से दमन की नीति को छोड़ने की मांग करते हैं और सभी न्यायपसन्द भारतीयों से हर तरह के आतंक, घृणा और दमन के विरुद्ध संगठित होने और शांति, सौहार्द एवं लोकतंत्र को बुलन्द करने का आह्वान करते हैं। हम पाकिस्तान की सरकार से भी कहना चाहते हैं कि वह पाकिस्तान में आतंकी कैम्पों को बंद करे, साथ ही पाकिस्तान की जनता से भी आतंक और युद्ध के खिलाफ आवाज उठाने अपील करते हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक और युद्ध हरगिज़ नहीं, इसकी जगह परस्पर तनाव कम करने के लिए दोनों और से दबाव बनना चाहिए।