गांवों में प्रेमी युगलों को क्यों तलाशना चाहती है योगी सरकार?

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नई दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने वाले हैं तो योगी सरकार ने गांवों में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। विवाद ढूंढने के नाम पर खुफिया एजेंसियां लगा दी गई हैं। इन खुफिया एजेंसियों का काम गांव-गांव जाकर प्रेमी युगलों को ढूंढना, अचानक धनाढ्य हुए लोगों की सूची बनाना तथा लोगों के आपसी विवादों की खोजबीन करना है। यूपी के एडीजी इंटेलिजेंस एसबी शिरोडकर की ओर से एक पत्र जारी हुआ है। इस पत्र में शिरोडकर ने 11 बिंदुओं पर जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं। प्रेमी युगलों की खोजबीन को इन बिंदुओं में मुख्य रूप से रखा गया है।

योगी सरकार गांवों में आखिर प्रेमी युगलों की तलाश किस मकसद से करा रही है? यह सबसे बड़ा सवाल है। इसका निर्णय कौन करेगा कि खुफिया एजेंसियों द्वारा चिन्हित किए गए प्रेमी युगल वैध हैं या अवैध? क्या प्रेमी युगलों के चिन्हित होने पर लड़की और लड़का पक्ष में आपसी रंजिश नहीं बढ़ेगी? क्या योगी सरकार चुनावों को अपने पक्ष में करने के लिए विरोधियों को टारगेट नहीं बनाएगी? यह सवाल एडीजी के पत्र पर सवाल खड़े करते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रेम प्रसंग के मामलों में खुद परिजनों द्वारा लड़की और लड़के दोनों की हत्याओं के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में ठंडे पड़ चुके मामले फिर से तूल पकड़ सकते हैं।

अचानक धनाढ्य होने के नाम पर भाजपा के विरोध में खड़े होने वाले उम्मीदवारों पर शिकंजा कसा जा सकता है? केंद्र सरकार की तर्ज पर योगी सरकार भी चुनाव से पहले खुफिया एजेंसियों की मार्फत विरोधियों को ठिकाने लगाने की कवायद कर रही है। ऐसे में पंचायत चुनाव से ठीक पहले गांवों में खुफिया एजेंसियों का लगाना योगी सरकार की नीयत पर उंगली उठा रहा है।

पंचायत चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में योगी सरकार का प्रयास है कि पंचायत चुनाव में ही विधानसभा चुनाव जीतने की भूमिका बना ली जाए। यही वजह है कि उन्होंने चुनाव से पहले गांवों में खुफिया एजेंसियां लगा दी हैं। दो प्यार करने वालों पर किसी सरकार का शिकंजा कसना उनकी पुरातन सोच को दर्शाता है। पर इस तरह के मामलों की आड़ में योगी सरकार के विरोधियों को टारगेट बनाने की मंशा ज्यादा दिखाई दे रही है।

अब तक योगी सरकार के कार्यकाल की समीक्षा करने से साफ जाहिर होता है कि योगी आदित्यनाथ ने एक विशेष धर्म और विशेष जाति को टारगेट बनाया है। सरकार के करीबियों को लगातार बचाया जाता रहा है। ऐसे में खुफिया एजेंसियां निष्पक्ष होकर काम करेंगी, यह काफी अहम सवाल है।

बेतहाशा बेरोजगारी और केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानून की वजह से गांवों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। ऐसी रिपोर्ट खुद योगी सरकार की खुफिया  एजेंसियां दे रही हैं। ऐसे में योगी सरकार ने खुफिया एजेंसियेां को ही उनके पक्ष में माहौल बनाने के लिए काम सौंप दिया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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