बिहार में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने किया प्रदर्शन

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पटना। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) और स्वयं सहायता समूह सह जीविका संघर्ष समिति ने आज बिहार भर में अपने- अपने घरों से महिलाओं ने मांग पत्र लेकर प्रदर्शन किया और बिहार के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि अखबारों में जीविका दीदियों द्वारा मास्क बनाने की खबर अक्सर छप रही है लेकिन यह सिर्फ कुछ शहरों में हो रहा है, ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों में इन्हें मास्क बनाने का काम नहीं मिल रहा। यों भी हर समूह की महिला मास्क बनाना नहीं जानतीं, उन्हें इसके लिए ट्रेनिंग देने की जरूरत है। मास्क के अतिरिक्त दूसरी तरह का काम/ रोजगार भी इन्हें दिया जा सकता है। बशर्ते कि सरकार इनकी मदद के लिए चिंतित हो। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का नारा देने वाली सरकार आज भी विदेशों से मास्क आयात कर रही है जबकि देश में सामान्य सी ट्रेनिंग के जरिए करोड़ों महिलाएं यह या इस तरह का अन्य उत्पादन कर सकती हैं।

संघर्ष समिति की संयोजक रीता वर्णवाल व सहसंयोजक मनमोहन कुमार ने कहा कि महामारी के इस दौर में प्राइवेट फाइनेंस कम्पनियों और बैंकों द्वारा पूरे बिहार में महिलाओं को किस्त जमा करने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। कई मामलों में कर्जवसूली हेतु महिलाओं के साथ अभद्रता की जा रही है। ऐपवा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि-

1.स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को अविलंब काम दिया जाय।

 2 . समूह से जुड़ी सभी महिलाओं को काम की जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाए और उनके उत्पादों की अनिवार्य खरीद सरकार करे।

 3.समूहों से जुड़ी इन महिलाओं का कर्ज माफ किया जाय।

4.कर्ज वसूली के लिए महिलाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार या प्रताड़ना करने वाले कर्मचारियों को दंडित किया जाय।

5. माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं, निजी बैंकों के मनमाने सूद दर पर रोक तथा उनके एक समान नियम कानून के तहत संचालन की व्यवस्था की जाय।

6. सामुदायिक उत्प्रेरक समेत सभी जीविका कर्मियों को पहचान पत्र दिया जाय।

7.सभी जीविका कर्मियों का बीमा किया जाय।

8. सामुदायिक उत्प्रेरक (CM) समेत किसी भी जीविका कार्यकर्ता पर हमला या असुरक्षा से बचाव की जवाबदेही संबंधित उच्च अधिकारी की हो।

9.CM या समकक्ष जीविका कार्यकर्ताओं को न्यूनतम ₹18,000 मासिक मानदेय दिया जाय और इसका भुगतान सरकार/परियोजना द्वारा हो।

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