साल भी नहीं गुजरा था जब उत्तराखंड के लोगों ने भाजपा को झोलीभर वोट दिए थे और इस राज्य की परम्परा को तोड़ते हुए भाजपा को लगातार दूसरी बार सत्ता सौंप दी थी। भाजपा सरकार ने एक साल पूरा होने से पहले ही पहाड़ के नौनिहालों के सिर पुलिस की डंडों से लहूलुहान करवा दिए हैं। इन नौनिहालों का दोष सिर्फ इतना था कि वे भर्ती परीक्षाओं में बार-ंबार हो रहे घोटालों से नाराज थे और सीबीआई जांच करने की मांग कर रहे थे।
पिछले साल 14 फरवरी को उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुए थे। राज्य के लोगों ने 70 में से 47 सीटें भाजपा की झोली में डालकर लगातार दूसरी बार इस पार्टी की सरकार बनाई थी। अपनी सीट हारने के बावजूद भी पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बनाये गए। इतना ही नहीं बाद में उनके लिए उपचुनाव भी करवाया गया। इन चुनाव परिणामों से एक बात सामने आई कि राज्य की महिलाओं ने जमकर भाजपा को वोट किया था। लेकिन यह वोट किसी काम नहीं आया।
एक साल के भीतर ही ऐसा रिटर्न गिफ्ट दिया कि उनको लहूलुहान कर दिया। जो लहूलुहान नहीं हो पाये उन्हें गिरफ्तार कर जेल परिसर के एक खुले मैदान में ले जाया गया और 16 छात्राओं सहित इन लोगों को देर रात तक वहां बिठाकर रखा गया।
प्रशासन, उत्तराखंड बेरोजगार संघ के आंदोलन को हर हाल में कुचलना चाहता था, यह बात तो पुलिस ने 8 फरवरी की रात को गांधी पार्क के बाहर सत्याग्रह कर रहे छात्र-ंछात्राओं के साथ बदसलूकी और मारपीट करके साबित कर दी थी। पुलिस और प्रशासन ने उस रात यह मान लिया था कि अब आंदोलन खत्म हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

9 फरवरी की सुबह हजारों की संख्या में बेरोजगार युवक-युवतियां और उनके अभिभावक गांधी पार्क पहुंच गए। दिनभर ये युवा और उनके अभिभावक प्रदर्शन करते रहे। लेकिन देर रात को पुलिस ने उनपर लाठियां भांजनी शुरू कर दी। कुछ युवकों के सिर से खून निकलने लगा तो कुछ के हाथ पैरों में चोटें आई। कुछ बेहोश हो गए, तो कुछ के कपड़े फट गए। इसके बाद कई छात्र-ंछात्राओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
एसएफआई से जुड़ी डीएवी कॉलेज की छात्रसंघ की उपाध्यक्ष सोनाली नेगी सहित करीब 16 छात्राएं, जो जमीन पर बैठकर नारे लगा रही थीं, उन्हें जबरन खींचकर गाड़ी में डाल दिया गया। पुलिस किस तरह बर्बर हो चुकी थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खींचतान में छात्राओं के कपड़े फट गए और जूते-ंचप्पल तक छूट गए।
पूरे घटनाक्रम पर एक नजर डालें-
उत्तराखंड में लगभग हर सरकारी नौकरी में धांधली हो रही हैं। कभी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो जाते हैं तो कभी नकल करवाकर, तो कभी पैसे देने वालों को पास करवा दिया जाता है। यूकेएसएसएससी परीक्षा में धांधली का मामला खुलने के बाद एक के बाद कई नौकरियों में धांधली किए जाने की बात सामने आई है।
खास बात यह है कि लगभग सभी मामलों में कोई न कोई भाजपा नेता जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड का बेरोजगार पहले भी उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले सड़कों पर उतरे थे, लेकिन हाल ही में जेई, एई और पटवारी भर्ती परीक्षाओं में धांधली सामने आने के बाद युवा बेहद गुस्से और नाराज हैं।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने विभिन्न पदों की भर्ती में हुई धांधली की सीबीआई जांच करवाने की मांग को लेकर 8 फरवरी को सत्याग्रह शुरू किया था। दिनभर गांधी पार्क के बाहर बैठे रहने के बाद युवाओं ने रात को भी सत्याग्रह जारी रखा। देर रात करीब 40 छात्र-ंछात्राएं धरने पर बैठे थे। इसी दौरान पुलिस वहां पहुंच गई और युवाओं को खींचकर वहां से हटाने का प्रयास करने लगी।
आरोप है कि बिना महिला पुलिस के धरने पर बैठी छात्राओं को पुलिस ने खींचने का प्रयास किया। युवाओं ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने संघ के अध्यक्ष बाॉबी पंवार की पिटाई करके उन्हें घसीटना कर दिया। युवाओं ने इस घटना की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दी और साथ ही 9 फरवरी की सुबह लोगों को गांधी पार्क पहुंचने की अपील भी कर दी।
सुबह तक पुलिस की ओर से की गई छीना-ंछपटी और युवकों घसीटने और डंडे से उनके पैर तोड़ने का प्रयास करने वाला वीडियो लाखों लोगों तक पहुंच गया। नतीजा यह हुआ है कि सुबह 9 बजे ही गांधी पार्क पर युवा की भीड़ जुटनी हो गई। 11 बजने तक करीब 10 हजार युवाओ की भीड़ घंटाघर से गांधी पार्क और एस्लेहॉल तक पहुंच गई। युवा जगह-ंजगह सड़कों पर बैठ गए।
अभ्यर्थियों के साथ बड़ी संख्या में अभिभावक भी पहुंचे थे। इसी दौरान पुलिस ने एक-ंदो राउंड आंसू गैस के गोले भी छोड़े, लेकिन कुछ युवकों ने इन्हें उठाकर वापस पुलिस वालों की तरफ उछाल दिया। संभवतः पुलिस को यह अंदाजा था कि आंसू गैस के गोले छोड़ने पर होने वाले धमाके और धुएं ने भीड़ तितर-बितर हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
बल्कि युवा इससे और उत्तेजित हो गए और एस्लेहॉस चैक से घंटाघर के पास तक युवाओं के नारे पहले से भी ज्यादा तेज हो गए। इसके बाद प्रशासन ने आंसू गैस के गोले छोड़ने या लाठीचार्ज करने के इरादा बदल दिया। युवक सड़कों पर ही बैठ गये और नारेबाजी करते रहे। दिनभर यही सिलसिला चलता रहा। घंटाघर से लेकर एस्लेहॉल तक राजपुर रोड पर युवाओं ने कब्जा जमाये रखा।

इसी बीच दोनों तरफ से पथराव हुआ और फिर पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठियां चलानी शुरु कर दी। अब पुलिस अपनी पुरानी लीक के अनुसार बयान दे रही है कि भीड़ ने पथराव शुरू किया था। जिसमें 20 पुलिस वाले भी घायल हुए इसके बाद पुलिस ने लाठियां चलाई।
लेकिन, मौके से आई तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस कर्मियों के हाथों में भी पत्थर हैं। एक वीडियो में युवकों का एक समूह पुलिस की तरफ पत्थर फेंक रहा है। एक पुलिसकर्मी उनके बीच जाता है और बड़े प्यार से उनके हाथों में उठाये पत्थर फिंकवा देता है। यह वीडियो यह साबित करने के लिए काफी है कि युवक हिंसक नहीं हुए थे, बल्कि जवाब में पत्थर फेंक रहे थे।
यह बात भी सामने आई है कि एक पार्टी से जुड़े युवा संगठन का गांधी पार्क के कुछ दूर एक बैंकेट हॉल में लंच का कार्यक्रम चल रहा था। लंच के बाद युवाओं का यह दल आंदोलन को समर्थन देने के नाम पर गांधी पार्क पहुंचा और कुछ देर बाद पथराव शुरू हो गया।
हलांकि इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि पथराव युवाओं के इसी दल ने आंदोलन को खराब करने के लिए किया था या वास्तव में आंदोलन कर रहे युवाओं की तरफ से पत्थर फेंके गये थे।
वहीं दूसरी देहरादून के एसएसपी दिलीप कुंवर ने भी एक वीडियो जारी करके कहा है कि युवाओं के आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्व घुस गए थे। पथराव के बाद पुलिस ने 60 युवकों को गिरफ्तार किया। इनमें 16 छात्राएं भी शामित है।। इन सभी को सिद्धोवाला जेल परिसर में एक मैदान में बिठा दिया गया।
छात्राओं को भी रात 8 बजे तक वहां बिठाकर रखा गया। इन सभी के मोबाइल भी स्विच ऑफ करवा दिए गए थे। गिरफ्तार की गई छात्राओं में शामिल सोनाली नेगी ने बताया कि उनके साथ 15 और छात्राएं थी। कुछ के कपड़े फट गये थे और कुछ के जूते चप्पल छूट गये थे। जिस खुले मैदान में उन्हें बिठाया गया, वहां पीने का पानी और बाथरूम तक की सुविधा नहीं थी।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर घटना पर अफसोस जताने के साथ ही लानत भेजने का दौर भी चल रहा है। यह लानत भाजपा, उसकी सरकार और उसके हैंडसम कहे जा रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए तो है ही, उन लोगों के लिए भी है, जिन्होंने आज से एक साल पहले भाजपा के पक्ष में जमकर वोट दिए थे।
लहूलुहान युवकों और बर्बरता से लाठी चलाती पुलिस के फोटो और वीडियो देखकर लोग कह रहे हैं कि ये तस्वीरें साबित करती हैं कि आपने गलत लोगों के हाथों में उत्तराखंड सौंप दिया है।
(देहरादून से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट)
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