नई दिल्ली। जैसे ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर राज्य इकाइयों से बातचीत करना शुरू किया है घटक दलों ने पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
जेडीयू ने यह दिखाते हुए कि भारतीय राजनीति में केवल कुछ ही नेता हैं जो नीतीश कुमार के जैसे “अनुभवी” हैं उन्हें पार्टी के “सूत्रधार” के रूप में पेश किया। नीतीश कुमार ने ललन सिंह की जगह ले ली और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे। विपक्षी दलों को एक साथ लाने में नीतीश की भूमिका की तारीफ करते हुए जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कहा कि इंडिया गठबंधन में बड़ी पार्टियों की “बड़ी जिम्मेदारी” है और गठबंधन को सफल बनाने के लिए बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
वहीं शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि वह महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 23 पर चुनाव लड़ेगी और कहा कि कांग्रेस के साथ उसकी बातचीत “शून्य” से शुरू होगी क्योंकि उसने राज्य में “कोई भी सीट नहीं जीती है।”
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गुरुवार 28 दिसंबर को कहा था कि राज्य में टीएमसी ही भाजपा का मुकाबला करेगी। उन्होंने कहा था कि इंडिया गठबंधन पूरे देश में हो सकती है लेकिन पश्चिम बंगाल में नहीं। ममता के इस रूख के बाद ही इन पार्टियों ने भी कांग्रेस पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है।
इस बीच कांग्रेस की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति ने कई राज्य इकाइयों के नेताओं से मुलाकात की जिनमें दिल्ली, बिहार और महाराष्ट्र शामिल हैं और सीट बंटवारे पर उनकी राय पूछी। समिति में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद और मोहन प्रकाश शामिल थे।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि पार्टी लचीला रुख अपनाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि राज्य इकाइयों के अपने विचार हो सकते हैं लेकिन एक राष्ट्रीय गठबंधन में राष्ट्रीय कारकों को राज्य के कारकों से उपर रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस, इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को जोड़े रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने को तैयार है।
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस गठबंधन समिति जल्द ही पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी अगले सप्ताह गठबंधन के घटक दलों के साथ सीट बंटवारे पर औपचारिक बातचीत शुरू करेगी।
उधर, सेना नेता संजय राउत के इस बयान ने राज्य कांग्रेस नेतृत्व को परेशान कर दिया है कि सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ बातचीत शून्य से शुरू होगी। राउत ने कहा है कि “यह महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में शिवसेना यानी सबसे बड़ी पार्टी। कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। हम उनके राष्ट्रीय नेतृत्व से बातचीत कर रहे हैं, चाहे वह राहुल जी हों, सोनिया जी हों, खड़गे साहब हों या वेणुगोपाल हों। कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ हमारी बातचीत सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है।”
उन्होंने ये भी कहा कि “हम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और वे कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे इसका फैसला दिल्ली में होगा। हमने कहा है कि हम हमेशा लोकसभा में महाराष्ट्र में 23 सीटों पर चुनाव लड़ते रहे हैं और हमारी सीटें सुरक्षित रहेंगी। हमने अपनी दूसरी बैठक में फैसला किया था कि हम बाद में सीटों पर चर्चा करेंगे। कांग्रेस का इसमें कोई जिक्र नहीं है क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र में कोई सीट नहीं जीती है। इसलिए राज्य में कांग्रेस के साथ बातचीत शून्य से शुरू करनी होगी।“
उन्होंने ये भी कहा, ”लेकिन कांग्रेस महाविकास अघाड़ी का एक महत्वपूर्ण घटक है। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना मिलकर काम करेंगे।”
वहीं कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि कांग्रेस महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और विपक्ष का नेतृत्व कर रही है। उन्होंने कहा कि “मैं राउत को बताना चाहता हूं कि कोई भी गठबंधन महाराष्ट्र के स्थानीय नेतृत्व के साथ बातचीत के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है।“
उन्होंने विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए कहा कि “इंडिया गठबंधन की पटना में हुई बैठक के बाद पूरे देश में विपक्षी एकता के बारे में एक बड़ा संदेश गया है और लोगों ने गठबंधन के सूत्रधार के रूप में नीतीश कुमार की तारीफ की है। हमें गर्व है कि भारतीय राजनीति में कुछ ही नेता हैं जो उनके जितने अनुभवी हैं। भाजपा खेमा इस बात से डरा हुआ है कि इंडिया गठबंधन के पास नीतीश कुमार जैसा नेता है।”
सूत्रों के मुताबित कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति ने राज्य इकाइयों से उन सीटों के बारे में राय मांगी है जहां पार्टी पिछले चुनाव में पहले और दूसरे स्थान पर रही थी। समिति ने सीटों की जाति संरचना और उन सीटों का वर्गीकरण भी पूछा है जहां पार्टी मजबूत और कमजोर है।
(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)