ईवीएम पर सुप्रीम सुनवाई से भयभीत न्यायपालिका की रिटायर्ड गोदी लॉबी ने सीजेआई को लिखा पत्र


पहले हरीश साल्वे सहित 600 वकीलों ने पिछले पखवारे सीजेआई को पत्र लिखा और अब सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के 21 जजों के एक समूह ने सीजेआई को पत्र कर न्यायपालिका को कमजोर करने के प्रयासों पर चिंता जताई। यह पत्र सामान्य नहीं है, क्योंकि 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपेट के पर्चियों के मिलान को लेकर याचिका पर सुनवाई होनेवाली है। इस पत्र की टाइमिंग देखते हुए यह स्पष्ट हो रहा है कि न्यायपालिका की ‘रिटायर्ड गोदी लॉबी’ ईवीएम पर सुप्रीम सुनवाई से भयभीत है और ‘पार्टी विशेष’ के बचाव में अब 21 पूर्व जजों ने सीजेआई को पत्र लिखा है और दबाव बनाने का अपरोक्ष प्रयास किया है ।

सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं तथा न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने ‘‘सोचे समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक रूप से अपमान के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने के कुछ गुटों’’ के बढ़ते प्रयासों पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को एक पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं तथा न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। बहरहाल, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने किन घटनाओं को लेकर सीजेआई को यह पत्र लिखा है। इनमें उच्चतम न्यायालय के चार सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी शामिल हैं। यह पत्र भ्रष्टाचार के मामलों में कुछ विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी दलों में वाकयुद्ध के बीच लिखा गया है।

न्यायमूर्तियों (सेवानिवृत्त) दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश माहेश्वरी और एम आर शाह समेत सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने आलोचकों पर अदालतों और न्यायाधीशों की ईमानदारी पर सवाल उठाकर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के स्पष्ट प्रयासों के साथ कपटपूर्ण तरीके अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने ‘‘न्यायपालिका को अनावश्यक दबाव से बचाने की आवश्यकता’’ शीर्षक वाले इस पत्र में लिखा है, ‘‘इस तरह की कार्रवाइयां न केवल हमारी न्यायपालिका की पवित्रता का अपमान करती हैं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती भी पेश करती हैं, जिन्हें कानून के संरक्षक के रूप में न्यायाधीशों ने बनाए रखने की शपथ ली है।’’
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के नेतृत्व वाली न्यायपालिका से ऐसे दबावों के खिलाफ मजबूत होने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कानूनी प्रणाली की पवित्रता और स्वायत्तता सुरक्षित रहे।

पत्र में कुछ गुटों द्वारा ‘सुविचारित दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान’ के माध्यम से न्यायपालिका को कमजोर करने के बढ़ते प्रयासों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की गयी है और झूठी सूचना फैलाने की राजनीतिक प्रभावों और रणनीतियों से न्यायिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है।

पत्र में कहा गया है कि यह हमारे संज्ञान में आया है कि ये तत्व संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित होकर हमारी न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके तरीके कई गुना और कपटपूर्ण हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से दोषारोपण करके न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने का प्रयास किया गया। इस तरह की कार्रवाइयां न केवल हमारी न्यायपालिका की पवित्रता का अनादर करती हैं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती भी हैं, जिन्हें कानून के संरक्षक के रूप में जजों ने बनाए रखने की शपथ ली है।

पत्र में आगे कहा गया है कि इन समूहों द्वारा अपनाई गई रणनीति बेहद परेशान करने वाली है। जिसमें न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को खराब करने के उद्देश्य से आधारहीन सिद्धांतों के प्रचार से लेकर न्यायिक परिणामों को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए प्रत्यक्ष और गुप्त प्रयासों में शामिल होना शामिल है। यह व्यवहार, हम देखते हैं, विशेष रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक महत्व के मामले और कारण उच्चारित किया जाता है, जिनमें कुछ व्यक्तियों से जुड़े मामले भी शामिल हैं, जिनमें न्यायिक स्वतंत्रता के नुकसान के लिए वकालत और पैंतरेबाज़ी के बीच की रेखाएं धुंधली हैं।

पत्र में कहा गया कि हस्ताक्षरकर्ता न्यायपालिका के साथ एकजुटता से खड़े हैं और हमारी न्यायपालिका की गरिमा, अखंडता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए किसी भी तरह से समर्थन करने के लिए तैयार हैं। हम इस चुनौतीपूर्ण समय में न्यायपालिका को न्याय और समानता के स्तंभ के रूप में सुरक्षित रखने के लिए आपके दृढ़ मार्गदर्शन और नेतृत्व की आशा करते हैं।

दो हफ्ते पहले सीनियर वकील हरीश साल्वे, एससीबी अध्यक्ष डॉ आदिश अग्रवाल आदि सहित वकीलों के एक समूह ने सीजेआई को इसी तरह का पत्र लिखा था।

(जे पी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं)

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R j
R j
Guest
15 days ago

JP why are you blowing opposition trumpet?? Infact it’s not godi media but so called journalists like you who spread misinformation

Abdul Salim Khan
Abdul Salim Khan
Guest
14 days ago

Need free and fair elections this time. Vvpat is the need of an hour. Or in future we needed elections to be done through ballet paper only.
Or there should be some mechanism in EVM to judge fair voting is going on.

प्रफुल्ल
प्रफुल्ल
Guest
13 days ago

ऐसे पत्र लिखकर न्यायपालिका पर दवाब बनाना गलत है। ये गोदी लॉबी है जो चोरी और सीनाजोरी करती है।